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यूरिया संकटः खेती-किसानी में नहीं दम, गोली खाकर मरना ही विकल्प

बैतूल में किसानों को खाद के लिये परेशान होना पड़ रहा है. धूप में लगे रहने के बावजूद भरपूर मात्रा में खाद नहीं मिल पा रही है. जिससे फसल खराब हो रही है और किसानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी होने वाली है.

Farmers have to worry about fertilizer in Betul
खाद का संकट

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Published : Dec 19, 2019, 5:18 PM IST

Updated : Dec 19, 2019, 6:17 PM IST

बैतूल। जिले में अब यूरिया का संकट गहराने लगा है, गेंहू के फसल की पहली सिंचाई के पहले या बाद में यूरिया का प्रयोग जरूरी होता है, लेकिन यूरिया के जुगाड़ में किसानों को दिन रात भागदौड़ करना पड़ रहा है. बावजूद इसके किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. आलम ये है कि सहकारी समितियों के अलावा प्राइवेट दुकानों पर भी यूरिया के लिए किसानों की लंबी-लंबी लाइन लगने लगी है.

खाद का संकट

किसान यूरिया के लिए 40 किलोमीटर की दूरी तय कर बैतूल पहुंच रहे हैं, जगह-जगह पुलिस की निगरानी में खाद बांटी जा रही है. खाद के लिए लाइन में लगे बुजुर्ग किसान दीनू ने बताया कि वो कई दिनों से खाद के लिए यहां-वहां भटक चुका है, पर कहीं भी खाद नहीं मिल पाई. सुबह से लाइन में लगने के बाद उनके पैरो में सूजन आ गयी है. साथ ही कहा कि खेती किसानी में अब कोई दम नहीं रहा है, इसलिए गोली खाकर मरना ही ठीक है.

खाद का संकट आने वाले दिनों में और गहराने की उम्मीद है क्योंकि किसानों ने वर्तमान में गेहूं और चना में पहली सिंचाई का पानी दे चुके हैं. अब दूसरी सिंचाई के लिए किसानों को खाद की जरूरत है. खाद खेतों में नहीं डाला गया तो गेहूं की फसल पीली पड़ जाएगी. वहीं खाद विक्रेताओं का कहना है कि यूरिया खाद की किल्लत के कारण किसानों को उनकी मांग के अनुरूप खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है. वे ज्यादा खाद भी किसानों को नही दे सकते क्योंकि शासन से उन्हें निर्देश मिले है कि एक किसान को केवल 2 बोरी खाद ही दी जाए.

Last Updated : Dec 19, 2019, 6:17 PM IST

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