बड़वानी। पलसूद तहसील के मटली गांव में प्रदेश सरकार द्वारा 3 दिवसीय इंदल उत्सव का आयोजन किया गया है, जिसे लेकर अब आदिवासी संगठन विरोध करने लगे हैं. कई आदिवासी संगठनों के द्वारा पलसूद थाना परिसर में धरना देकर इंदल उत्सव का विरोध किया जा रहा है. संगठन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार आदिवासी संस्कृति के विपरीत इंदल उत्सव का आयोजन कर आदिवासी संस्कृति से खिलवाड़ कर रही है.
प्रदेश सरकार मना रही हर वर्ष इंदल उत्सव
प्रदेश के भाजपा सरकार द्वारा पिछले 6 सालों से प्रतिवर्ष ग्राम मटली में इंदल देव की पूजा का आयोजन किया जा रहा है. इसी क्रम में 25 दिसंबर तक मटली में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किया जाएंगे.
आदिवासी संगठनों ने किया विरोध जनजातीय वर्ग के संगठन का विरोध प्रदर्शन
प्रदेश सरकार उत्सव के आयोजन का कुछ आदिवासी संगठनों ने विरोध भी किया है. उनका कहना है कि इंदल देव की पूजा हर वर्ष नहीं की जाती जबकि आदिवासी समाज के नागरिक द्वारा 5 वर्ष 10 वर्ष के अंतराल में मन्नत पूरी होने पर की जाती है. सरकार हठधर्मिता पूर्वक आदिवासी संस्कृति के विपरीत इंदल उत्सव कार्यक्रम हर साल कर रही है.
क्या है इंदल उत्सव
जनजातीय समाज अपने समाज व सुख समृद्धि की कामना से अनेक धार्मिक अनुष्ठान करता है. सामान्यतः जंगल में निवास करने वाली जनजातियां प्रकृति की उपासक रही है. इसी क्रम में पश्चिम निमाड़ी की भील, भिलाला और पटेलिया आदि द्वारा जनजातीय बहुल क्षेत्रो में ग्रामीणों की मनोकामना पूर्ण होने पर अर्थात मन्नत पूरी होने के उपरांत इंदल पूजा करती आई है.
आदिवासी संगठनों ने किया विरोध कुटुंब की सुख समृद्धि तथा पशुओं के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए समाज द्वारा इंदल देव की पूजा की जाती है. गांव के पटेल व पुजारा द्वारा आदिवासी संस्कृति के अनुरुप विधि विधान से पूजा पाठ किया जाता है. इस पूजा में एक कुंवारा, एक कुंवारी लड़का लड़की, ग्राम पटेल, पुजारा व वारती सहित 5 लोग शामिल होते है. कदम की तीन डाल लाकर पूजा स्थल पर सागौन के खूंटे गाड़ने के बाद रीति रिवाज से पूजा पाठ किया जाता है.