बड़वानी। जिला मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित प्रसिद्ध जैन तीर्थ बावनगजा पर अनलॉक 1.0 के बावजूद सन्नाटा पसरा हुआ है. तमाम धार्मिक स्थलों को खोलने के सरकारी आदेश के बाद ये तीर्थ स्थल भी श्रध्दालुओं और पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है, लेकिन अभी महज दो-चार श्रद्धालु ही यहां दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ सतपुड़ा की उच्च श्रृंखला चूलगिरी पर स्थित है. यहां एक ही पहाड़ी को काटकर 52 गज की पाषाण प्रतिमा स्थापित की गई है, जो जैन धर्म के अनुयायियों का पवित्र तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए पर्यटन का केंद्र है.
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर की है प्रतिमा
पहाड़ की चट्टान को काटकर बनाई ये प्रतिमा प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी की है. ये प्रतिमा 84 फीट यानी 52 गज ऊंजी है. माना जाता है कि इसका निर्माण 12 वीं शताब्दी के आस-पास हुआ था, लेकिन इस संबंध में पर्याप्त जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है. पाषाण प्रतिमा को बनाने वाले का नाम भी अज्ञात है. वहीं एक शिलालेख के अनुसार सवंत् 1516 में बावनगजा मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया और इसके आस-पास 10 से अधिक जिनालय बनाए गए.