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आगर: सुसनेर में एक साल से भू-अधिकार ऋण पुस्तिका की कमी, भटक रहे किसान और भूमिस्वामी - सुसनेर विधानसभा आगर

आगर जिले में पिछले एक साल से भू-अधिकार ऋण पुस्तिका कम मात्रा में प्रिंट होने के चलते इसकी कमी बनी हुई है. जिससे राजस्व संबंधी अनेक काम काज प्रभावित हो रहे हैं. वहीं एसडीएम का कहना है कि प्रशासन की ओर से डिमांड भेज दी गई है.

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भू-अधिकार ऋण पुस्तिका कमी

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Published : Oct 21, 2020, 1:53 PM IST

आगर मालवा।आगर जिले के सुसनेर में पिछले एक साल से भू-अधिकार ऋण पुस्तिका की कमी बनी है. जिसके कारण न केवल भूमि स्वामी परेशान हो रहे हैं, बल्कि किसानों को शासन की योजनाओं का लाभ लेने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जमीन खरीदी-बिक्री के बाद नई ऋण पुस्तिकाएं नहीं मिल पा रही हैं. वहीं पुराने के स्थान पर नई पुस्तिका लेने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में परेशान किसान तहसील मुख्यालयों और पटवारीयों के चक्कर लगाकर परेशान हो रहे हैं.

इस संबंध में एसडीएम के एल यादव का कहना है की भू-अधिकार पुस्तिकाएं शासन के आयुक्त भू-अखिलख के द्वारा संचालित ग्वालियर प्रटिंग प्रेस में छपती हैं. वहां पर कम मात्रा में पुस्तिकाओं के प्रिंट होने के चलते तहसील मुख्यालय समेत पूरे जिले में इसकी कमी बनी हुई है. हमारे द्वारा भू-अभिलेख कार्यालय ग्वालियर से पुस्तिकाओं के लिए डिमांड भेजी गई है. वहां उपलब्ध होते ही सम्बंधितों किसानों व अन्य लोगों को भू-ऋण अधिकार पुस्तिकाओं को वितरित कर दिया जाएगी.

ये कार्य हो रहे प्रभावित

ऋण पुस्तिकाओं के नहीं होने के कारण राजस्व संबंधी अनेक काम काज प्रभावित हो रहे हैं. जमीनों की क्रय बिक्री के बाद रजिस्ट्री कार्य तेजी नहीं पकड़ पा रही हैं. नामांतरण, बंटवारा जैसे कार्य नहीं हो रहे हैं. आवास सहित अन्य शासकीय योजनाओं में ऋण पुस्तिकाओं का होना जरूरी है. किसानों को ऋण आदि के लिए बैंकों में इसकी प्रमाणित प्रति लगानी होती है. वहीं पुराने के स्थान पर नई पुस्तिकाओं के लिए आवेदन देने के बाद भी लोगों को नहीं मिल पा रहे हैं.

इसलिए हो रहा विलंब

शासन के द्वारा ग्वालियर में बनाए गए आयुक्त भू-अभिलेख की प्रिटिंग प्रेस से कम मात्रा में भू-ऋण अधिकार पुस्तिका की प्रिटिंग होने के काराण जिले लेवल से लेकर स्थानीय तहसील कार्यालय तक इन पुस्तिकाओं की कमी बनी हुई है. समय-समय पर जो पुस्तिकाएं भेजी जाती है, वो भी जरूरत के मान से कम होती है. इस वजह से पर्याप्त मात्रा में किसानों व आमजन तक नहीं पहुंच पाती है.

ऋण पुस्तिकाओं की कमी के कारण नामांतरण, जमीनों की रजिस्ट्रियां सहित अन्य काम काज प्रभावित होने लगे हैं. हालांकि इस कमी को दूर करने के लिए प्रशासन की ओर से डिमांड भेज दी गई है, लेकिन अभी तक आपूर्ति नहीं हो सकी है.

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