उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की पर्यावरण प्रबंधन और वनस्पति विज्ञान अध्ययनशाला में क्यूआर कोड का प्रयोग शुरू कर दिया गया है. विद्यालय में पेड़ों की प्रजाति की पहचान के लिए पेड़ों पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं. ऐसे में क्यूआर कोड स्कैन करते ही अब विद्यार्थियों और शोधार्थियों के साथ-साथ आम लोगों को भी पेड़-पौधे अपनी जानकारी खुद दे देंगे. यह पेड़ बॉटनी डिपार्टमेंट मध्य प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ वनस्पति उद्यानों में शामिल हैं.
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मोबाइल से स्कैन कर पाएं जानकारी
क्यूआर कोड स्कैन करते ही मोबाइल पर पेड़-पौधों की प्रजाति, किस्म, नाम और औषधीय गुणों की जानकारी आ जाएगी. प्रारंभिक दौर में अध्ययनशाला में 30 पेड़-पौधों पर क्यूआर कोड लगाने का काम हो चुका है. अब जल्द ही परिसर के 150 पेड़-पौधों पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा. इस पहल की शुरुआत विद्यार्थियों, शोधार्थियों और सामान्य जिज्ञासुओं की सुविधा व जन जागरूकता के लिए की गई है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि पेड़-पौधों की जानकारी के लिए वहां विशेषज्ञ या प्रोफेसर का उपस्थित होना जरूरी नहीं होगा. मोबाइल से आसानी से क्यूआर कोड स्कैन करते ही उसकी पूरी जानकारी चंद सेकंड में मोबाइल पर उपलब्ध हो जाएगी.
उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय में एक अच्छी पहल क्यूआर कोड लगाने के बाद सोमवार को कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने भी अध्ययनशाला परिसर पहुंच कर जानकारी ली. उन्होंने कहा विद्यार्थियों के अलावा अन्य लोगों में भी पर्यावरण और वनस्पति संपदा के प्रति जागरूकता उत्पन्न होगी. लोगों में वृक्षों को जानने की उत्सुकता के साथ उनकी जिज्ञासा का समाधान होगा. (Ujjain Vikram University gave QR codes to trees) (QR codes to trees)