मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / city

सबसे पहले दिवाली मनाएंगे 'महाकाल', रूप चौदस के दिन दिखेगी दीपावली की धूम

हर साल की तरह इस साल भी महाकाल मंदिर में सबसे पहले दिवाली मनाई जाएगी. रूप चौदस के दिन विधि-विधान से महाकाल की पूजा होती है. इसके बाद महाकाल दिवाली मनाते हैं.

By

Published : Nov 2, 2021, 7:08 AM IST

सबसे पहले दिवाली मनाएंगे 'महाकाल',
सबसे पहले दिवाली मनाएंगे 'महाकाल',

उज्जैन।आज धनतेरस है, इसी दिन से दिवाली पर्व की शुरुआत होती है. बाबा महाकाल का दरबार भी इस उपलक्ष्य में सजकर तैयार है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, सभी त्यौहार सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाए जाते हैं. धनतेरस की विशेष पूजा भी सबसे पहले महाकाल मंदिर में होती है. वहीं एक दिन पहले ही रूप चौदस पर महाकाल मंदिर में दिवाली मनाई जाती. इस दिन अल सुबह होने वाली भस्म आरती से पहले बाबा महाकाल को हल्दी का उपटन लगाया जाता. इस दौरान भस्म आरती में फुलझड़िया चलाकर पुजारी बाबा महाकाल के साथ दिवाली मनाते हैं. इस दौरान बाबा को 56 भोग भी चढ़ाया जाता है, और शाही मुकुट पहनाकर उनका विशेष श्रृंगार भी होता है.

सबसे पहले दिवाली मनाएंगे 'महाकाल',

चार दिन तक महाकाल मनाते हैं दिवाली
महाकाल मंदिर में सभी त्यौहार एक दिन पहले ही मनाए जाने की परंपरा है. मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि महाकाल मंदिर में चार दिन तक दीपावाली का त्यौहार मनाया जाता है. जिसमें रूप चौदस के दिन सुबह बाबा के पट खुलते ही पुजारी परिवार की ओर से महिलाएं साल में एक बार लगने वाला उपटन महाकाल को लगाती हैं. इसके बाद बाबा का मनमोहक श्रृंगार कर वस्त्र चढ़ाकर 56 भोग लगाया जाता है. फिर भस्म आरती के दौरान मंदिर के पुजारी बाबा महाकाल के साथ दीपावली पर्व मनाते हैं.

रूप चौदस की भस्म आरती है खास
रूप चौदस पर अल सुबह भस्म आरती में सबसे पहले बाबा महाकाल को गर्म जल से अभ्यंग स्नान कराया जाता है. इसके बाद बाबा का मनमोहक श्रृंगार होता है. जिसमें बाबा को मुकुट चढ़ाया जाता है, 56 भोग अन्नकूट बाबा को लगाया जाता है. इसके बाद भस्म आरती में बाबा महाकाल के साथ पुजारी दिवाली मनाते हैं. जिसमें मंदिर परिसर में जमकर आतिशबाजी की जाती थी. लेकिन कोर्ट के आदेश और कोरोना गाइडलाइन के बाद प्रतीकात्मक फुलझड़िया ही जलाई जाती हैं. इस दौरान बाबा महाकाल के आंगन में होने वाली दिवाली का नजारा देखने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

सबसे पहले दिवाली मनाएंगे 'महाकाल',

Dhanteras Special: धनतेरस पर पीतल के बर्तन खरीदने से भगवान धन्वंतरि हो जाते हैं खुश, जानें कारण

तंत्र-मंत्र का केंद्र है उज्जैन
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर में सालों से तंत्र-मंत्र का केंद्र रहा है. महाकाल मंदिर दक्षिण मुखी होने के चलते तंत्र क्रिया वाले तांत्रिकों की यहां जगह रही है. हालांकि मंदिर में तंत्र क्रिया पर रोक है, लेकिन उज्जैन में दीपावली के रात को चक्र तीर्थ शमशान घाट सहित कई जगह पर तंत्र साधक दिखाई देते हैं. चौदस और अमावस्या की रात तंत्र साधकों के लिए शुभ मानी जाती है. इसके चलते दीपवाली बड़ा त्यौहार है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details