जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जल्द ही 6 नये जज (six new judges appointed in mp high court) की नियुक्ति हो सकती है. सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने राष्ट्रपति से इनके नाम की सिफारिश कर दी है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जजों के 53 पद स्वीकृत हैं जबकि वर्तमान में 29 जज ही कार्यरत हैं.
इन जजों के नाम की हुई सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की बैठक 29 जनवरी को हुई थी. जिसमें जबलपुर के अधिवक्ता मनिंदर सिंह भटटी, इंदौर के अधिवक्ता मिलिंद रमेश फडके तथा ग्वालियर के अधिवक्ता डीडी बंसल के अलावा उच्च न्यायिक सेवा के अमरनाथ केशरवानी, प्रकाश चंद्र गुप्ता तथा दिनेश कुमार पालीवाल को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया जाना है. राष्टपति की अनुमत्ति के बाद जल्द ही इन जजेज की मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में नियुक्ति की जाएगी. इसके बाद प्रदेश के हाई कोर्ट में जजों की संख्या 35 हो जाएगी.
बेसहारों को बांटों 25 हजार के कंबल, शर्त पर मिली जमानत
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने शराब तस्करी से जुडे एक मामले में आरोपी को शर्त पर जमानत का लाभ दिया है. कोर्ट ने कहा है कि वो पच्चीस हजार रुपए कीमत के कंबल बेसहारा एवं गरीबों को बांटेगा. इसके लिए कोर्ट ने वकीलों की एक कमेटी गठित कर उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी है.हाईकोर्ट ने कहा कि कडा़के सर्दी में खुले आसमान के नीचे सोने के लिए मजबूर लोगों को इस प्रयास से कुछ मदद पहुंचेगी. कोर्ट ने आवेदक के खुद ही किए गए इस आग्रह की भी सराहना की.
ऐसे पूरी होगी शर्त
कोर्ट ने कहा कि आरोपी दिलीप पच्चीस हजार रुपये की राशि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के खाते में जमा कराएगा. इस राशि का उपयोग कंबल खरीदने के लिए किया जाएगा.अधिवक्ताओं की एक टीम इन कंबलों के वितरण करेगी. हाईकोर्ट के आदेश पर अधिवक्ताओं की टीम ने रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और फूलबाग क्षेत्र में सड़क पर सो रहे गरीब मजदूर और अन्य लोगों को यह कंबल बांटे
यह थी मामला
दरअसल श्योपुर जिले के वीरपुर थाना क्षेत्र में दो वाहनों से कुल 933 लीटर शराब जप्त की गई थी. इस मामले में वाहन चालक दिलीप चंद्रभान और क्लीनर मुकेश एवं उदयभान को गिरफ्तार किया गया था. आरोपी दिलीप ने शराब के संबंध में खुद ही पुलिस को इसकी सूचना दी थी. कोर्ट ने आरोपी को जनानत देते वक्त यह भी माना कि वह सीधे तौर पर शराब के धंधे में लिप्त नहीं था. वह ढाबा चला कर अपना जीवन यापन करता है और उस पर पूर्व में कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं है. दिलीप 26 अक्टूबर 2021 से जेल में बंद था. कोर्ट ने उसके जमानत आवेदन को स्वीकार करते हुए उसे सशर्त जमानत का लाभ दिया है. उसे हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को संबंधित थाने में हाजिरी लगानी होगी.
अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके वर्मा का इस्तीफा
मप्र हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ में अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे सीनियर एडवोकेट आरके वर्मा ने इस्तीफा दे दिया है. इससे पूर्व दिसंबर माह में पुष्पेन्द्र यादव ने भी उक्त पद से इस्तीफा दे दिया था. जिससे न्यायालय परिसर में चर्चाओं बाजार गर्म है, हालांकि दोनों ही अधिकारियों ने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा देने की बात कहीं है. इन इस्ताफों के बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता के दोनों पद रिक्त हो गये हैं, जिससे जल्द ही नए अतिरिक्त महाधिवक्ताओं की नियुक्ति की चर्चा भी जोरों पर है. माना जा रहा है कि जल्द ही इस संबंध में नई नियुक्ति कर सूची जारी कर दी जाएगी. भाजपा शासन काल में महाधिवक्ता कार्यालय में हुई नियुक्तियों में हाईकोर्ट जज नियुक्त किए जाने के बाद जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद सीनियर एडवोकेट प्रशांत सिंह को महाधिवक्ता पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसके बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता पद पर कार्य कर रहे पुष्पेन्द्र यादव ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से एक माह पूर्व इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद आरके वर्मा ने अतिरिक्त महाधिवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है.
हाईकोर्ट कर्मचारियों के वेतनमान का मामला
हाईकोर्ट के कर्मचारियों को शेट्टी पे-कमीशन की अनुशंसा के मुताबिक वेतनमान नहीं दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गयी थी. चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस अंजुली पालो ने पूर्व में पारित आदेश के परिपालन के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की है. कमेटी को तीन माह का समय प्रदान किया है. मप्र हाईकोर्ट में कार्यरत चंद्रिका प्रसाद कुशवाहा सहित अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल 2017 को उनकी रिट याचिका स्वीकार करते हुए सरकार को शेट्टी पे कमीशन की अनुशंसाओं का लाभ देने के निर्देश दिये थे. इस आदेश के बाद भी याचिकाकर्ताओं का उक्त लाभ नहीं दिये जाने के खिलाफ अवमानना याचिका साल 2018 में दायर की गयी थी. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि न्यायालय द्वारा 28 अप्रैल 2017 को पारित फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सर्वाेच्च न्यायालय में अपील दायर थी. सर्वाेच्च न्यायालय ने उनकी अपील को खारिज कर दिया था. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को आदेश के परिपालन के संबंध में रिपोर्ट पेश करने निर्देश भी जारी किए थे.