जबलपुर। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में मौत के आंकड़े ने लोगों की नींद उड़ा दी है. कोरोना के पीक पर जो मौत का तांडव देखने को मिला, उससे श्मशान, कब्रिस्तान शवों से पट गए. हालात इस कदर खौफनाक थे कि शवों को कांधा देने से खुद अपने ही कतरा रहे थे. ऐसे में जबलपुर में मोक्ष संस्थान ने इंसानियत की मिसाल पेश की और विगत दो माह में कोरोना से मृत करीब एक हजार शवों का अंतिम संस्कार करवाया.
मोक्ष यहीं नहीं रूका बल्कि इंसानियत के जज्बे को आगे बढ़ाते हुए उसने अस्थियों के विसर्जन की भी जिम्मेदारी उठाई है. मुक्तिधाम में हजारों शवों का दाहसंस्कार तो हुआ, लेकिन महज 15 से 20 फीसदी लोग ही वहां अपनों की अस्थियां लेने पहुंचे. बड़ी तादात उनकी थी जिनका कोई अपना अस्थियां लेने नहीं पहुंचा.
पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार
मोक्ष संस्था के संचालक आशीष ठाकुर के नेतृत्व में उनके वॉलंटियर्स श्मशान घाट पहुंचते हैं वे अस्थि विसर्जन की रस्म को औपचारिकता से नहीं बल्कि पूरे विधि विधान के साथ पूरा करते हैं. फूल, गंगाजल, धूप बत्ति के साथ चिताओं से खारी उठाई जाती है और तिलवारा पहुंचकर पूजन पाठ कर उन्हें नर्मदा में विसर्जित कर दिया जाता है.