भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच लोग अपना फर्ज भी निभा रहे हैं और जिम्मेदारी भी. कुछ ऐसी ही कहानी है भोपाल में विद्युत विभाग में काम करने वाली महिला कर्मचारी प्रगति तायड़े की. प्रगति कोरोना जैसी आपातकाल स्थिति में भी अपनी सात माह की बेटी को लेकर कार्यालय आती हैं. ताकि अपनी ड्यूटी कर सकें.
भोपाल मदर्स डे स्पेशल स्टोरी प्रगति ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि जब बेटी को साथ लेकर काम पर आती हैं तो उन पर सभी की नजरें होती है. लेकिन प्रगति का कहना है कि बच्चे को ऑफिस लाना उनकी मजबूरी है. क्योंकि उनके पति भी बाहर जॉब करते हैं और उनके अलावा घर में कोई नहीं है. इसलिए वह अपनी बेटी को साथ लेकर आती हैं ताकि बेटी की देखरेख हो सके.
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फर्ज और जिम्मेदारी दोनों निभाना है
प्रगति ने कहा कि वह विद्युत विभाग में काम करती हैं. इसलिए यहां जिम्मेदारी बढ़ जाती है. क्योंकि इस वक्त सभी लोग अपने घरों में हैं. जिससे बिजली की सप्लाई बराबर होती रहे इस बात का ध्यान पूरा बिजली विभाग रख रहा है. इसलिए वे अपनी ड्यूटी भी पूरी ईमानदारी से निभाती हैं. लेकिन बच्चे का ख्याल भी रखना है. इसलिए इस मुश्किल वक्त में वे फर्ज और जिम्मेदारी दोनों को निभा रही हैं.
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प्रगति का कहना है कि मां के लिए कोई काम बड़ा नहीं होता. एक मां बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है. जैसे शीतल उनकी बच्ची की अच्छी परवरिश के लिए कोरोना की आपातकालीन स्थिति में काम कर रही हैं. प्रगति ने कहा कि देश में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां एक मां बच्चों के लिए कुछ भी करती हैं. इसलिए हमें भी अपने जज्बे के साथ चलते रहना होगा. कोरोना की आपातकाल स्थिति में जो मां सेवाएं दे रही हैं उनके संघर्ष को देखते हुए शीतल ने एक कविता भी लिखी है. जिसका शीषर्क है नारी शक्ति है. जिसे उन्होंने ईटीवी भारत के साथ शेयर किया और मदर्स डे पर सभी मां को नारी शक्ति का सम्मान दिया.
अपनी सात माह की बेटी के साथ शीतल तायड़े