भोपाल।आगामी नगरीय निकाय चुनाव से संबंधित बड़ी खबर सामने आई है. प्रदेश में इस बार केवल नगर निगमों में ही प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनावहोगा. मतलब राज्य में 16 नगर निगमों के महापौर सीधे जनता द्वारा चुने जाएंगे, जबकि नगर परिषद और नगरपालिका अध्यक्षों का चुनाव पार्षद ही करेंगे. इस संबंध में राज्य सरकार ने अध्यादेश तैयार कर लिया है जिसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा जा रहा है. इसके अलावा लगभग सभी जिलों में आरक्षण की प्रक्रिया को भी पूरा कर लिया गया है.
गृहमंत्री ने बढ़ाया असमंजस:नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के अध्यक्षों का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा या अप्रत्यक्ष प्रणाली से, इस बारे में कई दिनों से कयास लगाए जा रहे थे. असमंजस उस समय और बढ गया जब बुधवार को सुबह यह खबर आई कि राज्य सरकार ने प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का फैसला लिया है. इस संबंध में अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेज दिया है, लेकिन इसके कुछ ही देर राज्य सरकार के प्रवक्ता और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने यह कहकर मामले को उलझा दिया कि ऐसा कोई अध्यादेश राजभवन नहीं भेजा गया है. जिसके बाद दिनभर बनी उहापोह की स्थिति के बाद शाम को यह साफ हुआ कि सिर्फ नगर निगमों महापौर का चुनाव ही प्रत्यक्ष प्रणाली से किया जाएगा. इस संबंध में ही अध्यादेश राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेज दिया गया है. जिसके बाद साफ हो गया है कि नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली यानि नगर पालिका और परिषद में चुने गए पार्षदों द्वारा ही किया जाएगा.
कमलनाथ सरकार ने किया था अध्यादेश मे संशोधन: 2019 में जब कमलनाथ सरकार बनी थी तो उसने मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन किया था. जिसमें महापौर, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों के प्रत्यक्ष निर्वाचन को खत्म कर दिया था. जिसमें इन पदों पर निर्वाचित पार्षद द्वारा ही महापौर , नगर निगम और जनपद अध्यक्ष का चुनाव चुने हुए पार्षदों से कराने का ही नियम था. जिसमें संशोधन के लिए सरकार ने अध्यादेश राजभवन की मंजूरी के लिए भेजा है.
सभी बड़े जिलों में पूरी हुई आरक्षण प्रक्रिया:नगरीय निकाय, नगर निगम और जनपद में आरक्षण प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है. जिसमें एससी,एसटी, ओबीसी, महिला और पुरुष महापौर कहां कहां होंगे यह भी निर्धारण कर लिया गया है. 16 नगर निगमों में चुने वाले महापौर में
-रीवा, जबलपुर,इँदौर, सिंगरौली (सामान्य पुरुष)
-सागर, कटनी, देवास, ग्वालियर (सामान्य महिला)
-भोपाल, सतना, खंडवा, रतलाम (ओबीसी)
-उज्जैन, छिंदवाड़ा, मुरैना (एससी-एसटी)इसी तरह त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर भी वार्डों का आरक्षण भी लगभग सभी जिलों में तय कर दिया गया है.
इंदौर नगर निगम: 85 वार्डों के लिए हुई आरक्षण प्रक्रिया के अलावा जिला पंचायत व जिले की चार जनपद पंचायतों के लिए हुई आरक्षण प्रक्रिया में सुप्रीमकोर्ट के आदेश के आधार पर आरक्षण दिया गया है. जिसमें
- एसटी एससी और ओबीसी को 50% आरक्षण दिया गया है. इंदौर जिला पंचायत में 17 निर्वाचन क्षेत्र हैं जिनमें तीन तीन पदों पर एससी और एसटी और 2 पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं.
- जिले की चार जनपद पंचायतों में 25 निर्वाचन क्षेत्र हैं. जिनमें 12 निर्वाचन क्षेत्र एससी- एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित किए गए हैं. निर्देशों के आधार पर कुछ सीटों पर महिलाओं का आरक्षण अलग से किया गया है.