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Shrimad Bhagwat Gita : जीवन सार गीता अध्ययन से मिलेगा मोक्ष का मार्ग, हो जाएंगे भवसागर पार - गीता जयंती 2021 ज्योतिसर कुरुक्षेत्र हरियाणा

भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में (lord krishna in mahabharata) अपने विराट रूप में अर्जुन को गीता का ज्ञान (Lord Krishna preached the Gita to Arjuna) दिया था. श्रीमद्भागवत गीता सभी ग्रंथों का सार है. मोक्षदा एकादशी (mokshada ekadashi 2021) के दिन ही गीता जयंती (gita jayanti mahotsav 2021) मनाई जाती है.

gita jayanti mahotsav 2021
गीता जयंती महोत्सव 2021

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Published : Dec 13, 2021, 1:18 PM IST

Updated : Jun 9, 2022, 12:35 PM IST

ईटीवी भारत डेस्क: सनातन धर्म में गीता को पवित्र ग्रंथ माना गया है, श्रीमद्भागवत गीता सभी ग्रंथों का सार है. महाभारत के समय भगवान श्रीकृष्ण जी ने सर्वप्रथम मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को कुरुक्षेत्र में अपने शिष्य अर्जुन को गीता (gita jayanti 2021) का ज्ञान दिया था. अर्जुन को गीता (Shrimad Bhagwat Gita) का ज्ञान देकर भगवान श्रीकृष्ण ने उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया था इस कारण से मार्गशीर्ष (अगहन) मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी (mokshada ekadashi 2021) कहा जाता है. इस प्रकार मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती (gita jayanti mahotsav 2021 kurukshetra) मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता.


मोक्षदा एकादशी (mokshada ekadashi 2021) का व्रत रखने से कई तरह के मानसिक रोग दूर होते हैं. पद्म पुराण में बताया गया है कि मोक्षदा एकादशी पापों का नाश करने वाली है. मोह-माया ही सभी रोगों की जड़ है. इससे ही मनुष्य के अंदर कई प्रकार की बीमारियां पैदा होती हैं. मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से कई तरह के मानसिक रोग दूर होते हैं. पद्म पुराण में बताया गया है कि मोक्षदा एकादशी पापों का नाश करने वाली है.
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गीता जयंती: भगवान कृष्ण के श्री मुख से गीता अवतरण

भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में (lord krishna in the mahabharata kurukshetra) अपने विराट रूप में अर्जुन को गीता का ज्ञान (lord Krishna gave the knowledge of gita to arjuna) दिया था. श्रीमद्भागवत गीता महाभारत (mahabharat scripture) ग्रंथ का एक हिस्सा है इसमें कुल 18 अध्याय है. गीता के 6 अध्याय कर्मयोग, 6 अध्याय ज्ञानयोग और अंतिम 6 अध्याय में भक्तियोग के उपदेश दिए गए हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज से लगभग 5157 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान (gita jayanti 2021 kurukshetra) दिया था. इस प्रकार गीता की उत्पत्ति कलयुग आरंभ होने से लगभग 30 वर्ष पहले हुई थी. गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद (Geetopanishad) है, श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और कुल 700 श्लोक (Shrimad Bhagwat Gita has 18 chapters 700 verses)हैं.

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मोक्षदा एकादशी (mokshada ekadashi 2021) व्रत विधि
एकादशी के दिन प्रात: काल में उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत हो जाएं. इसके बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अब मोक्षदा एकादशी व्रत का संकल्प लें. फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा पूजा स्थल पर स्थापित करें, उनके चरणों में श्रीमद्भागवत गीता को रखें उसपर गंगा जल छिड़कें. भगवान श्री कृष्ण और गीता का रोली अक्षत से तिलक करें, तिलक करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और श्रीमद्भागवत गीता पर फूल अर्पित करें. इसके बाद श्रीमद्भागवत गीता को माथे पर लगाएं और उसका पाठ करें या सुनें. गीता जयंती के अवसर पर मंदिरों में भी गीता का पाठ किया जाता है, वहां जाकर भी गीता का पाठ सुन सकते हैं.

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इस दिन पीपल के पेड़ की भी पूजा कर उसकी जड़ में जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं. ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण होंगी और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी. इस दिन भगवान विष्णु के द्वादश अक्षर मंत्र महामंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए. विष्णु सहस्त्रनाम, श्री नारायण स्त्रोत (Vishnu Sahastranama, Shree Narayana stotra) आदि का भी पाठ करना शुभ माना गया है. पुरुष सूक्त, लक्ष्मी सूक्त का पाठ करना भी विशेष फल देता है. इस शुभ दिन ॐ नमो नारायणाय मंत्र का पाठ करना चाहिए. इस दिन पीले, सफेद आदि शुभ वस्त्रों को धारण करना चाहिए. भगवान श्रीहरि विष्णु को पीले पुष्पों की माला आदि चढ़ाई जानी चाहिए. यदि संभव हो तो इस दिन मंदिरों में या ब्राह्मणों को यथासंभव महाग्रंथ गीता (gita jayanti 2021, kurukshetra) का दान अवश्य करें.

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मोक्षदा एकादशी व्रत (mokshada ekadashi vrat 2021) का मुहूर्त और पारण समय
एकादशी तिथि प्रारंभ– 13 दिसंबर, 2021 को सुबह 09 :32 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त– 14 दिसंबर, 2021 को रात 11:37 तक
पारण का समय और तिथि– द्वादशी, 15 दिसंबर, 2021 को दोपहर 07:7 से 09 : 10 तक


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व्रत पारण का नियम
इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि लगने के बाद किया जाता है और व्रत का पारण द्वादशी तिथि खत्म होने से पहले ही किया जाना चाहिए. यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले खत्म हो गई है तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद होगा.

Last Updated : Jun 9, 2022, 12:35 PM IST

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