भोपाल. कांग्रेस की राजनीति में दिग्विजय सिंह के लिए कहा जाता रहा है कि एमपी में अपने पॉवर के दिनों में वे जिसके कंधे पर हाथ रख देते थे वो दहशत में आ जाता था कि अब पार्टी में उसकी उल्टी गिनती शुरु होने में ज्यादा वक्त नहीं है. अर्जुन सिंह के शार्गिद रहे दिग्विजय सिंह वो राजनेता हैं जो राजनीति को जीते हैं. उनके बयान से लेकर ट्वीट तक कोई न कोई मकसद लिए हुए होते हैं. ऐसे में अगर कांग्रेस के अध्यक्ष पद की दौड़ से पैर खींच लेने के बाद दिग्विजय सिंह को रहीम के दोहे याद आ रहे हैं, तो इसे भी सियासत में दिग्विजय का चोखा दांव ही समझिए. राजा को वैराग्य यूं नहीं हुआ है.
Digvijay's tweet ट्विटर पर लिखे रहीम के दोहे, लोगों ने पूछा 'क्यूं इतना वैराग्य', क्या रिटायर हो रहे हैं राजा साहब
अर्जुन सिंह के शार्गिद रहे दिग्विजय सिंह वो राजनेता हैं जो राजनीति को जीते हैं. उनके बयान से लेकर ट्वीट तक कोई न कोई मकसद लिए हुए होते हैं. ऐसे में अगर कांग्रेस के अध्यक्ष पद की दौड़ से पैर खींच लेने के बाद दिग्विजय सिंह को रहीम के दोहे याद आ रहे हैं, तो इसे भी सियासत में दिग्विजय का चोखा दांव ही समझिए. राजा को वैराग्य यूं नहीं हुआ है. Digvijay singh tweet, Digvijay tweet Rahim couplets ,
ट्विटर पर दिखा...राजा का वैराग्य :दिग्विजय सिंह के ट्विटर पर एक ही दिन के दो ट्वीट काबिल ए गौर है. पहले ट्वीट में वे रहीम को याद करते हैं. और कहते हैं 'चाह गई चिंता मिटी मनुआ बे परवाह. जाके कछु नहीं चाहिए वे शाहन के शाह'. इसी दिन दिग्विजय सिंह अपने दूसरे ट्वीट में कलाकार विनोद दुबे का एक वीडियो शेयर करते हैं. वीडियो में विनोद दुबे जो गीत सुना रहे हैं वो खास है. 'क्या लेके आया जग में क्या लेके जाएगा. मन सुन जोगी बात ये माया करती घात आतम भीतर समझात. मूरख ना समझे बात'. अब सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष पद से नाम वापिस लेने के ठीक दूसरे ही दिन दिग्विजय बैरागी क्यों हो गए हैं. ट्वीट के जरिए क्या ये संदेश दिया जा रहा है कि 2003 में मिली हार के बाद दस साल तक कांग्रेस में कोई भी पद नहीं लेने का एलान करने वाले दिग्विजय सियासत में साधू भाव से रहते हैं.