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चम्बल में 'दंगल' 104 साल पुरानी परंपरा में आज भी जारी हैं पहलवानी के दांवपेंच, कुश्ती को बढ़ावा दे रहे चम्बल के युवा - Dangal game in Bhind

चंबल के ग्रामीण इलाके में धीरे-धीरे गुम होने की कगार पर पहुंच रहे कुश्ती को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसीलिए भिंड के मेहगांव में हर साल दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. जहां देश भर के पहलवान कुश्ती में अपना दमखम दिखाने के लिए पहुंचते हैं. कुश्ती की इस विधा को आगे बढ़ाने को लेकर स्थानीय युवा और पहलवान भी खासे उत्साहित है. (Dangal game in Bhind)

bhind youth learning the tricks of wrestling
चम्बल में 'दंगल' पहलवानी के दांव-पेंच

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Published : Mar 25, 2022, 9:46 PM IST

भिंड।चंबल के ग्रामीण इलाके में धीरे-धीरे गुम होने की कगार पर पहुंच रहे कुश्ती को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं. यही वजह है कि सालों पुरानी परंपरा को निभाते हुए भिंड के मेहगांव में आज भी दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. जहां देश भर के पहलवान कुश्ती में अपना दम दिखाने और क़िस्मत आज़माने के लिए पहुंचते हैं. (Dangal game in Bhind)

पहलवानी के दांव-पेंच

104 साल से जारी है दंगल प्रतियोगिता : मेहंगाव में होने वाले इस दंगल का आयोजन 104 साल पुराना है. जिसे बड़े स्तर पर आयोजित किया जाता है. दंगल आयोजन समिति के सदस्य भगीरथ सिंह गुर्जर ने बताते हैं कि यह चम्बल क्षेत्र का सबसे पुराना और बड़ा दंगल है. जो 1917 से आयोजित हो रहा है. इस दंगल में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, कलकत्ता, महाराष्ट्र समेत देश के अलग-अलग कोने से पहलवान शामिल होते हैं और रंगपंचमी पर कुश्ती का खेल खेलते हैं.

चम्बल में 'दंगल' पहलवानी के दांव-पेंच
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अखाड़े में पहलवानों की प्रैक्टिस :मेहगांव के स्थानीय पहलवान आशिक़ पहलवान की मानें तो दंगल पर स्थानीय युवा और पहलवानों में उत्साह रहता है. रंग पंचमी से पहले कई युवा यहां दंगल सीखने आते हैं, इस साल कई बच्चे कुश्ती के दांव पेंच सीख रहे हैं. आशिक़ पहलवान ने बताया कि वे खुद हर साल दंगल में हिस्सा लेते हैं.

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