भोपाल। बदलते वक्त में लड़कियों की उम्मीदों को पर लग गए हैं. अब वे छोटी उम्र में बालिका वधू बनने को तैयार नहीं, बल्कि पढ़ लिख कर सक्षम बनना चाहती है. ऐसी ही 17 साल की बालिका छोटी उम्र में परिवार द्वारा कराई गई शादी को अब शून्य करा रही है. हालांकि लॉक डाउन के दौरान मध्य प्रदेश में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. कई मामलों में छोटी उम्र में ही लड़कियों ने शादी के सपने हकीकत में बदलने की कोशिश की, हालांकि समझाइश के बाद उन्हें अपनी गलती समझ आई. पिछले साल 9 माह में 292 बाल विवाह के मामले सामने आए हैं.
17 साल की बालिका चाहती है शादी शून्य कराना
चाइल्ड लाइन की डायरेक्टर अर्चना सहाय के मुताबिक कई लड़कियां छोटी उम्र में शादी के लिए तैयार नहीं होती है, लेकिन कई बार उन्हें माता-पिता की जिद के आगे घुटने टेकने पड़ते हैं. भोपाल की ऐसी ही एक लड़की की परिवार के दबाव में छोटी उम्र में शादी कर दी गई. लड़की और लड़के की उम्र में करीब 15 साल का अंतर था. बाद में लड़की ने शादी शून्य कराने के लिए चाइल्ड लाइन से मदद मांगी, इसको लेकर अब कार्रवाई की जा रही है. लड़की आगे पढ़ना चाहती है.
इस साल भोपाल में रोके गए 14 बाल विवाह
कोरोना काल में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, हालांकि इस मामले में भोपाल में 14 बाल विवाह रोकने में कामयाबी पाई गई. सूचना के बाद चाइल्ड लाइन, पुलिस और महिला बाल विकास की टीम की समझाइश के बाद छोटी उम्र में बच्चियों की शादी टाल दी गई.
बाल विवाह के मामले में शहरी और ग्रामीण इलाके में अंतर दिखाई दे रहा है. ग्रामीण इलाकों में जहां परिजन के दबाव में लड़कियां शादी को तैयार हो जाती है. वहीं शहरी इलाकों में कई लड़कियां प्रौढ़ावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही खुद ही अपनी पसंद के लड़के से शादी करने के लिए तैयार हो रही है.
चाइल्ड लाइन के डायरेक्टर अर्चना सहाय के मुताबिक पिछले दिनों भोपाल में ही ऐसे 2 मामले सामने आए जिसमें लड़कियां खूब समझाया इसके बाद भी शादी की जिद पर अड़ी रहीं. आखिरकार शादी रोक दी गई. उनके मुताबिक ऐसे मामलों में विवाह रुकवाना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि दोनों पक्षों की राजी होने पर इस तरह के मामलों की सूचनाएं ही नहीं आती. छोटी उम्र में शादी के दुष्परिणाम इन लड़कियों को कुछ समय बाद समझ में आते हैं.
लॉकडाउन में बढ़े बाल विवाह के मामले
लॉकडाउन में बाल विवाह के मामले ज्यादा सामने आए हैं. मार्च माह से नवंबर 2020 तक प्रदेश में 292 बाल विवाह के मामले सामने आए हैं. चाइल्ड लाइन की डायरेक्टर के मुताबिक लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से कम बजट में विवाह और आर्थिक तंगी के चलते बाल विवाह के मामले बढ़े हैं. महिला बाल विकास विभाग की संचालक स्वाति मीणा नायक के मुताबिक बाल विवाह को लेकर पिछले सालों की अपेक्षा लोगों में जागरूकता बढ़ी है. बालिकाओं को जागरूक करने के लिए सभी जिलों में शौर्य दल का गठन किया गया है ताकि इस तरह के मामलों को रोका जा सके.