सोलन:हिमाचल प्रदेश का सोलन जिला तेजी से विकसित होते शहरों में से एक है, शिक्षा हब के साथ लगातार इंड्रस्टी हब भी यहां पर बढ़ता जा रहा है, हर गांव तक सड़क सुविधा पहुंच चुकी है, लेकिन इतना विकास होने के बावजूद भी सोलन के साथ लगते ओछघाट क्षेत्र में एक गांव ऐसा भी है जहां पर लोगों को सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है. हम बात ग्राम पंचायत सनहोल के गांव सैंज की कर रहे है. दरअसल, यहां के लोग आजादी के 76 वर्षों बाद भी अपनी मंजिल को पगडंडियों के सहारे नापते हैं. सूबे के स्वास्थ्य मंत्री इसी विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखते हैं,पूर्व की 2012 से 2017 की वीरभद्र सरकार में भी वह मंत्री थे, तब भी इस क्षेत्र को सड़क की सुविधा नसीब नहीं हो पाया है.
बताया जा रहा है कि ग्रामीण पिछले कई वर्षों से अपनी फरियाद चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रशासन और सरकार के लोगों तक पहुंचा रहे हैं, लेकिन आलम यह है कि सड़क की मांग पूरी होना तो दूर की बात है, उसकी ओर ध्यान भी नहीं दिया जा रहा है. अब प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का नारा देकर सता में आई सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार से यहां के लोगों को उम्मीद है कि उनकी समस्या का हल होगा.
'बच्चों को स्कूल ले जाने में होती है परेशानी':ग्राम पंचायत सनहोल के वार्ड टटूल के गांव सैंज की महिला सीमा ने बताया कि आज तक उनके गांव में सड़क नहीं पहुंच पाई है, बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए जंगल के रास्ते जाना पड़ता है. वहीं, घर का राशन भी सड़क सुविधा न होकर सर और पीठ पर उठाकर ले जाना पड़ता है. सीमा का कहना है दिक्कतें बहुत हैं, लेकिन हल कुछ भी नहीं.
'खच्चर करके ले जाना पड़ता है घरों का सामान': सैंज के ही रहने वाले व्यक्ति ने बताया कि सड़क सुविधा न होने के चलते कोई भी व्यक्ति अगर अपना घर बनाना चाहता है तो उसको खच्चर करके अपने घर का मटेरियल ढोना पड़ता है. ऐसे में घर बनाने से पहले के खर्च से घर बनाने के लिए उपयोग में आने वाले मटेरियल को गांव तक पहुंचाने का खर्चा उठाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि आपदा में उनके घर चले गए. वहीं, सरकार ने 1 लाख रुपये घर बनाने के लिए दिए हैं, लेकिन सड़क न होने के चलते इतना खर्चा तो उन्हें सामान ढोने के लिए ही उठाना पड़ेगा. उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनकी सड़क की मांग पर ध्यान दिया जाए.