सोलन:देश में इन दिनों बाबा रामदेव के बयान के बाद शुरू हुआ आयुर्वेद बनाम एलोपैथी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बाबा रामदेव ने सोमवार को एलोपैथी को लेकर 25 सवाल जारी किए थे. जिस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उन्हें लीगल नोटिस भेजा है.
आईएमए का कहना है कि बाबा रामदेव पहले अपनी योग्यता बताएं, फिर हम सवालों के जवाब देंगे. वहीं, जब एलोपैथी बनाम आयुर्वेद विवाद को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर राजीव सैजल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आरोप प्रत्यारोप नहीं होने चाहिए. आज के समय में आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों का समान योगदान है.
'बाबा रामदेव की मूल भावना को समझना जरुरी'
डॉक्टर सैजल ने कहा कि बाबा रामदेव ने किस संदर्भ में यह कहा, उस संदर्भ को समझना आवश्यक होगा कि उनकी मूल भावना क्या है. मंत्री ने कहा कि आज एलोपैथी इतना विशाल रूप धारण कर चुका है कि लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं एलोपैथी के माध्यम से मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि जब किसी व्यक्ति की जान को बचाने की बात आती है और जीवन खतरे में होता है तो एलोपैथी की शल्य क्रियाओं के साथ अन्य क्रियाएं फायदेमंद साबित होती हैं.
एलोपैथी और आयुर्वेद दोनों की समान आवश्यकता
सैजल बोले कि आज के समय में जितनी आवश्यकता एलोपैथी की है, उतनी ही आवश्यकता आयुर्वेद की है. उन्होंने कहा कि दोनों में समन्वय चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें इंटीग्रेशन की तरफ नहीं जाना है. दोनों ही पद्धति में न ही कोई कम है और न ही कोई ज्यादा. जहां एक पद्धति कम हो, वहां दूसरा सहायक होना चाहिए. स्वास्थ्य मंत्री सैजल ने कहा कि यदि हम इस विचार से चलेंगे तो कोई विवाद नहीं होगा.
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