सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के विधानसभा क्षेत्र शिलाई के बकरास में बुधवार को हुए 'सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम' में उद्योग एवं संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान के सामने ही जमा दो की कक्षा उत्तीर्ण कर चुकी एक अनाथ बच्ची ने शिलाई जैसे दुर्गम क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी. बता दें कि उद्योग मंत्री इसी हल्के से विधायक भी हैं. छात्रा ने सीधे शब्दों में मंत्री जी के सामने यहां तक कह डाला कि जैसे कि सरकार का टाइटल है सुख की सरकार. लोगों के लिए हो सकती है सुख की सरकार, लेकिन उसे लगता है कि शिक्षा के क्षेत्र में कहीं न कहीं सरकार असफल हो रही है, जिसमें बड़े बदलाव की जरूरत है. इस छात्रा के करीब अढ़ाई मिनट के वक्तव्य के दौरान लोगों ने भी खूब तालियां बजाईं.
दरअसल हुआ यूं कि कार्यक्रम में लोगों को भी बोलने का मौका दिया गया. इस दौरान स्थानीय बच्ची को माइक मिला, तो बच्ची ने लोगों की भीड़ के बीच बोलना शुरू किया. शुरुआत में बच्ची ने कहा कि सरकार ने उन जैसे बच्चों को 'चाइल्ड ऑफ द स्टेट' का दर्जा दिया है. पढ़ाई जारी रखने के लिए उनके खाते में भी 4,000 रुपए के हिसाब से 16,000 रुपए की राशि जमा हुई है. ये सरकार की अच्छी पहल है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में हालात ठीक नहीं है.
1964 से आज तक नहीं पढ़ाया जा रहा विज्ञान विषय:छात्रा ने कहा कि बकरास स्कूल से उन्होंने बारहवीं उत्तीर्ण की है. शिक्षकों के अभाव में इस स्कूल का बुरा हाल है. 1964 में बकरास स्कूल की नींव रखी गई थी, लेकिन आज तक यहां पूरा स्टाफ नहीं है. हैरानी इस बात की है कि आज तक यहां विज्ञान के विषय नहीं पढ़ाए जा रहे. यहां सिर्फ बच्चों को राजनीतिक शास्त्र और इतिहास की पढ़ाई करने का विकल्प दिया गया है. इस समस्या के समाधान की मांग छात्रा ने उद्योग मंत्री के समक्ष उठाई.