पांवटा साहिब: कोरोना महामारी के कारण कई क्षेत्रों में चल रही विकासात्मक परियोजनाओं का काम ठप पड़ गया है. इन परियोजनाओं का काम अनलॉक में भी सिरे नहीं चढ़ पा रहा है. सिरमौर जिला के पांवटा साहिब में आईपीएच विभाग की कई परियोजनाओं पर कोरोना की मार पड़ी है. मौजूदा समय में पांवटा क्षेत्र की करीब सवा लाख की आबादी पीने के पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रही है. कोरोना काल में कई दर्जनों गांव में पेयजल की किल्लत के चलते लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी का इंतजाम करना पड़ रहा है.
हालांकि शहरी इलाकों में लोग फिर भी पानी का टैंकर मंगवा कर अपनी जरूरत को पूरा कर लेते हैं, दूरदराज में रह रहे लोंगों के लिए यह भी संभव नहीं है. ग्रामीण इलाके के लोग आज भी पीने के पानी के लिए ही नहीं बल्कि सिंचाई के लिए भी पानी के प्राकृतिक स्रोत पर ही निर्भर हैं.
पानी की समस्या झेल ररहे लोगों ने कहा कि अगर 21वीं सदी में भी स्वच्छ पेयजल के लिए वह मोहताज हैं, तो इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं हो सकता है. दूसरी ओर इलाके की महिला ने बताया उसके घर साथ ही पानी का एक टैंक बना हुआ है, जिसके काफी लंबे अरसे से ना साफ-सफाई हुई है और ना ही मरम्मत नहीं हुई है. पानी का यह टैंक बिलकुल जरजर हालत में है, जिससे उनके घर को खतरा बना हुआ है. इस टैंक के बारे में कइ बार प्रशासन को बता दिया गया है, बावजूद इसके अधिकारी टालमटोल कर झूठा आश्वासन दे जाते हैं. वहीं, अगर इस जरजर पानी के टैंक के गिरने से कोई हादसा हो जाता है, तो कौन जिम्मेदार होगा.
जब इस बारे में जल शक्ति विभाग के अधिशासी अभियंता पांवटा से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण सरकार की विभिन्न पेयजल परियोजनाओं के निर्माणकार्य थम गए थे. प्रदेश में भी कई सरकारी योजनाएं लटकी हुई थी. अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते ही इन निर्माणकार्यों ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ना शुरू की है. कोरोना काल में 30 करोड़ की योजनाएं लगभग अभी तक पूरी हो चुकी हैं.
उन्होंने कहा कि गिरी इर्रिगेशन प्रोजेक्ट माजरा 28 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया था, बढ़ाणा कलाता पंचायत की एल आई एस योजना 19 लाख की लागत से तैयार की गई. बरोटीवाला ग्राम पंचायत परदुनि सिंचाई योजना 1 करोड़ 37.50 लाख की लागत से तैयार की गई है, रामपुर गिरी हाईटेक नहर से लगभग 40 गांव के लोगों को इस नहर से सिंचाई योजना मिलेगी, तो शहर वासियों को भी गंदगी से राहत मिलेगी.