शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के समरहिल में शिव मंदिर में हुए हादसे ने सब को झकझोर कर रख दिया है. लोग मंदिर में महाकाल को जल चढ़ाने गए थे और खुद ही काल के मुंह में समा गए. हिमाचल पुलिस, एसडीआरफ, आईटीबीपी, भारतीय सेना के जवान बीते आठ घंटे से भी ज्यादा समय से बचाव व राहत कार्य कर मलबे से जिंदगी की तलाश कर रहे हैं. यह दर्दनाक हादसा समरहिल के समीप शिव मंदिर में हुआ, जहां आसपास के लोग मंदिर में जलाभिषेक करने जाते हैं. आज सोमवार का समय था और इसके चलते आसपास के लोग सुबह के समय ही मंदिर में जल चढ़ाने गए थे, लेकिन इस बीच यह प्रलय आ. सुबह करीब पौने सात बजे जब मंदिर में आरती हो रही थी. तभी बादल फटने के बाद आए भूस्खलन की चपेट में यह मंदिर और आरती में कर रहे लोग आ गए. शिव मंदिर बालूगंज से समरहिल जाने वाली सड़क के निचली ओर है. यहां ऊपर भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान है.
संस्थान के नीचे ही बादल फटने की यह घटना हुई और यह अपने साथ मलबा, देवदार के बड़े-बड़ दरख्त ले गया. मलबा समरहिल जाने वाली सड़क से होते हुए लोअर समरहिल की सड़क को बहाता गया और इसके बाद निचले रेलवे ट्रैक के होते हुए नीचे शिव मंदिर पर गया. मलबा इतना ज्यादा था कि रेलवे ट्रैक भी हवा में लकट गया है, मंदिर से ऊपर की पूरी पहाड़ी ही दरकर आ गई. जिस जगह भव्य मंदिर था, वह कुछ ही क्षण में मलबे के ढेर में बदल गया.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने खुद संभाला मोर्चा: मंदिर में हुए इस हादसे का पता चलते ही पुलिस, होमगार्ड, एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स), सेना के जवान के साथ-साथ स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और मलबे को हटाने का कार्य शुरु किया गया. यहां पर बड़े बड़े पेड़ मलबे में आए थे, जिनको काटने के बाद ही मलबा हटाने का काम शुरू किया जा सका. हालांकि मौके पर जेसीबी को पहुंचने में कुछ समय लगा क्योंकि सड़क पूरी तरह से खराब हो गई थी.