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वाटर सेस लगाकर सालाना 1 हजार करोड़ जुटाएगी सुक्खू सरकार, बजट सेशन में पेश होगा विधेयक

हिमाचल सरकार प्रदेश की नदियों पर बनी जलविद्युत परियोजनाएं पर वाटर सेस लगाएगी. इसके लिए बजट सेशन में बिल पेश किया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...(Water cess on hydroelectric projects in Himachal) (Sukhvinder Singh Sukhu) (budget session of himachal government)

Sukhvinder Singh Sukhu
Sukhvinder Singh Sukhu

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Published : Mar 6, 2023, 7:01 PM IST

Updated : Mar 6, 2023, 8:11 PM IST

शिमला: आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार ने सालाना एक हजार करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व का इंतजाम कर लिया है. राज्य सरकार प्रदेश की नदियों पर बनी जलविद्युत परियोजनाएं पर वाटर सेस लगाएगी. इसके लिए बजट सेशन में बिल पेश किया जाएगा. कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है. हिमाचल में बेशक बजट सत्र 14 मार्च से शुरू होगा और उसी सेशन में उपरोक्त बिल लाया जाएगा, लेकिन वाटर सेस का फैसला 10 मार्च 2023 से लागू होगा.

कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि गंभीर आर्थिक संकट झेल रहे राज्य में रेवेन्यू जुटाने के लिए वाटर सेस लगाना जरूरी था. इससे कम से कम एक हजार करोड़ रुपए सालाना राजस्व मिलेगा. ये रकम एक हजार करोड़ रुपए से अधिक भी हो सकती है. बजट सत्र में ये बिल पास किया जाएगा. इसके लिए राज्य में एक कमीशन बनेगा. इसमें चेयरमैन सहित चार अन्य सदस्य होंगे. वाटर सेस से जुड़े सारे फैसले फिर कमीशन लेगा.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल का पड़ौसी राज्य उत्तराखंड भी वाटर सेस लगा चुका है. इसके अलावा जेएंडके में भी ये लागू है. हिमाचल की नदियों के पानी का प्रयोग कर बिजली उत्पादन कर रही कंपनियों को पानी के उपयोग पर सेस देना होगा. सत्ता में आने के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस की गारंटियों को पूरा करने के लिए राजस्व जुटाने के प्रयास में लगे थे. सीएम के निर्देश और बिल का मसौदा तैयार किया गया और फिर जलशक्ति विभाग ने वाटर सेस लगाने से जुड़ी फाइल कंप्लीट कर इसकी अधिसूचना जारी कर दी. राज्य सरकार अब बजट सेशन में इसके लिए बिल पेश करेगी. सदन में चर्चा के बाद बिल पारित हो जाएगा. अब हिमाचल में वाटर सेस 10 मार्च से लागू हो जाएगा और इसी बजट सेशन में बिल पास किया जाएगा.

हिमाचल में कई जलविद्युत परियोजनाएं चल रही हैं. इन परियोजनाओं में हिमाचल की नदियों का पानी उपयोग में लाया जा रहा है. परियोजनाओं पर वॉटर सेस लगाने का राज्य सरकार को पूरा अधिकार है. बेशक जलविद्युत परियोजनाएं उर्जा विभाग का हिस्सा हैं, लेकिन किसी भी राज्य की जल संपदा और जल संसाधनों का स्वामित्व जल शक्ति विभाग के पास होता है. ये बिल हिमाचल प्रदेश वाटर सेस ऑन हाइड्रो पावर जेनरेशन बिल 2023 के नाम से जाना जाएगा. बिल के प्रावधानों के अनुसार अभी जिन परियोजनाओं का प्रोजेक्ट हैड 30 मीटर तक होगा, उन पर 10 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर पानी के हिसाब से सेस लगाया जाना प्रस्तावति है.

इसके अलावा जिन परियोजनाओं का हैड 60 से 90 मीटर होगा, उन पर 35 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर पानी के हिसाब से वाटर सेस लागू करने का विचार है. राज्य की नदियों पर चल रही बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में जिनका हेड 90 मीटर से अधिक है, उन पर 50 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर वाटर सेस देय होगा. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में 27 हजार मैगावाट से अधिक जलविद्युत दोहन की क्षमता है. इस समय राज्य में 10600 मैगावाट क्षमता का दोहन किया गया है. हिमाचल में राज्य सरकार निजी उर्जा उत्पादकों 12 प्रतिशत रॉयल्टी लेती है. हिमाचल में सतलुज जलविद्युत परियोजना से राज्य सरकार को लाभांश के रूप में सालाना करीब 300 करोड़ रुपए मिलते हैं. हिमाचल सरकार का इस परियोजना में 25.51 फीसदी शेयर है. कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि वाटर सेस से एक हजार करोड़ रुपए या इससे भी अधिक राजस्व सालाना जुटेगा.

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Last Updated : Mar 6, 2023, 8:11 PM IST

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