शिमला: आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार ने सालाना एक हजार करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व का इंतजाम कर लिया है. राज्य सरकार प्रदेश की नदियों पर बनी जलविद्युत परियोजनाएं पर वाटर सेस लगाएगी. इसके लिए बजट सेशन में बिल पेश किया जाएगा. कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है. हिमाचल में बेशक बजट सत्र 14 मार्च से शुरू होगा और उसी सेशन में उपरोक्त बिल लाया जाएगा, लेकिन वाटर सेस का फैसला 10 मार्च 2023 से लागू होगा.
कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि गंभीर आर्थिक संकट झेल रहे राज्य में रेवेन्यू जुटाने के लिए वाटर सेस लगाना जरूरी था. इससे कम से कम एक हजार करोड़ रुपए सालाना राजस्व मिलेगा. ये रकम एक हजार करोड़ रुपए से अधिक भी हो सकती है. बजट सत्र में ये बिल पास किया जाएगा. इसके लिए राज्य में एक कमीशन बनेगा. इसमें चेयरमैन सहित चार अन्य सदस्य होंगे. वाटर सेस से जुड़े सारे फैसले फिर कमीशन लेगा.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल का पड़ौसी राज्य उत्तराखंड भी वाटर सेस लगा चुका है. इसके अलावा जेएंडके में भी ये लागू है. हिमाचल की नदियों के पानी का प्रयोग कर बिजली उत्पादन कर रही कंपनियों को पानी के उपयोग पर सेस देना होगा. सत्ता में आने के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस की गारंटियों को पूरा करने के लिए राजस्व जुटाने के प्रयास में लगे थे. सीएम के निर्देश और बिल का मसौदा तैयार किया गया और फिर जलशक्ति विभाग ने वाटर सेस लगाने से जुड़ी फाइल कंप्लीट कर इसकी अधिसूचना जारी कर दी. राज्य सरकार अब बजट सेशन में इसके लिए बिल पेश करेगी. सदन में चर्चा के बाद बिल पारित हो जाएगा. अब हिमाचल में वाटर सेस 10 मार्च से लागू हो जाएगा और इसी बजट सेशन में बिल पास किया जाएगा.