शिमला: फसल बीमा योजना के नाम पर हिमाचल प्रदेश में एक बड़ा गड़बड़झाला हुआ है. प्रदेश में किसानों-बागवानों को किसान क्रेडिट कार्ड या अन्य कर्ज खातों से बीमा कंपनियां बैंकों से फसल बीमा के प्रीमियम कटवा रही हैं. चार बीघा में फलदार बगीचा है तो तीन लाख रुपये के किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जा रहे हैं.
इतनी सी फसल का बीमा करना हो तो करीब आठ हजार रुपये प्रीमियम के कट रहे हैं. इसे किसानों से कुल बीमित राशि के दो प्रतिशत के हिसाब से काटा जा रहा है. प्रीमियम का बाकी हिस्सा केंद्र और राज्य सरकारें अलग जमा कर रही हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 1500 से 8000 रुपये प्रीमियम काटा गया और नुकसान होने पर 15 से 75 पैसे मुआवजा देकर मजाक किया गया. कुछ बैंक प्रतिनिधियों ने यह बात पिछले साल नई दिल्ली में हुई उच्च स्तरीय बैठक में उजागर की.
एक बीमा कंपनी के मौसम केंद्र ने नुकसान दर्शाया तो दूसरे ने नहीं
जानकारी के अनुसार कोटखाई क्षेत्र में एक ही बगीचे पर पिता-पुत्र ने दो अलग-अलग बैंकों से कर्ज ले रखा है. इनके बगीचों में नुकसान हुआ तो दावा पेश करने पर एक बीमा कंपनी के मौसम केंद्र ने नुकसान दर्शाया तो दूसरे ने नहीं. ऐसे कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
किसानों के मामलों पर हो शीघ्र कार्रवाई
वहीं, मुख्य सचिव ने बागवानी और कृषि विभाग के उप निदेशकों की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समितियों को फसलों के नुकसान की विस्तृत आंकलन रिपोर्ट तैयार कर बीमा कंपनियों के पास जमा करवाने के निर्देश दिए. उन्होंने बीमा कंपनियों को किसानों के मामलों पर शीघ्र कार्रवाई करने को कहा. उन्होंने राजस्व विभाग को प्रभावित क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर गिरदावरी पूर्ण करने के निर्देश दिए.
मुख्य सचिव ने किसानों से असामायिक बर्फबारी, ओलावृष्टि और वर्षा से फसलों को हुए नुकसान के मुआवजे का दावा बैंकों, पंचायतों, कृषि और बागवानी विभाग के माध्यम से या स्वयं बीमा कंपनी को जमा करवाने का आग्रह किया, ताकि इसका आंकलन किया जा सके.
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