रामपुर:शिमला जिले के रामपुर में लगा अंतरराष्ट्रीय लवी मेला 14 नवंबर को समाप्त हो गया है, लेकिन यहां अभी भी स्टॉल लगे हैं. इनमें कुछ स्टॉल ऐसे हैं, जहां पर अपने खेतों में उगाए गए उत्पाद दुकानदारों ने बेचने के लिए रखे हैं. इनमें सबसे पसंदीदा उत्पाद लाल चावल हैं, जिसे लोग हाथों हाथ खरीद रहे हैं. इस चावल की प्रदेश में बहुत कम पैदावार होती है इसलिए यह चावल अधिक मंहगा बिकता है. (Peja Variety Of Red Rice)
पेजा लाल चावल 800 रुपये किलो बिक रहा:लाल चावल की पेजा किस्म रामपुर बुशहर में इस बार यह चावल यूं तो 150 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है, लेकिन जो चावल की पेजा नामक किस्म है वह 800 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. इस चावल की विशेषता यह है कि यह काफी पौष्टिक माना जाता है. शुगर के मरीज भी इस चावल का आनंद ले सकते हैं. यह चावल रोहड़ू क्षेत्र से बेचने के लिए अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में लाया गया है. व्यापारियों का कहना है कि यह चावल बहुत कम मात्रा में पैदा होता है, ऐसे में बाजार में इसकी मांग काफी ज्यादा होती है.
ये उत्पाद भी खरीद रहे लोग: इसके अलावा यहां पर और भी लोकल उत्पाद लगे है स्टॉल पर पहाड़ी माश, कोलथ, अखरोट, राजमा, ओगले का आटा, फाफरे का आटा, चुली और बेमी का तेल व अन्य उत्पाद भी बेचने के लिए रखा गया है. पहाड़ी उत्पाद के विक्रेता बबलू वर्मा और अमरनाथ का कहना है कि लवी मेले में आधुनिकता हावी हो गई है, लेकिन अभी भी लोग पुरानी चीजों को पसंद कर रहे हैं. खासकर पुराने उत्पादों को लोग हाथों हाथ खरीद रहे हैं.