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पेड़ों को कीलों से जख्मी करने पर Doctors ने लिखी HC को मेल, कोर्ट ने सभी जिलों के DC से मांगा जवाब

Himachal High Court: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य भर में पेड़ों को नुकीली तारों व कीलों से जख्म देने पर सख्ती दिखाई है. क्या है पूरा मामला ये जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Himachal Court News
हिमाचल हाई कोर्ट (फाइल फोटो).

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 9, 2024, 8:17 PM IST

शिमला:ये डॉक्टर्स बेशक मरीजों के दांतों का इलाज करते हैं, लेकिन उनसे प्रदेश भर में पेड़ों की एक पीड़ा नहीं देखी गई. पेड़ों को ये पीड़ा कंटीली तारों व नुकीली कीलों के जरिए दी जा रही है. आहत होकर सुंदरनगर के डेंटल डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम एक ई-मेल डालकर इन पेड़ों की पीड़ा उजागर की. हाईकोर्ट ने प्रशासन की इस प्रवृत्ति का कड़ा संज्ञान लिया और ई-मेल को जनहित याचिका में तब्दील कर सभी जिलों के डीसी से जवाब तलब कर लिया. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य भर में पेड़ों को नुकीली तारों व कीलों से जख्म देने पर सख्ती दिखाई है.

यही नहीं, हाईकोर्ट ने मामले में सभी जिलों के डीसी को प्रतिवादी भी बनाया है. उल्लेखनीय है कि हाल ही में शिमला में भी न्यू इयर व विंटर कार्निवाल सेलिब्रेशन के लिए रिज मैदान व माल रोड पर पेड़ों को क्लैंप लगाकर तारें जड़ दी गई थी. ये तारें अभी भी रिज मैदान के पेड़ पर देखी जा सकती हैं. हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए राज्य के सभी जिलाधीशों से जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर कड़ा संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट के सीजे के नाम लिखी ईमेल में आरोप लगाया गया है कि पेड़ों पर कीलें ठोक कर होर्डिंग आदि लटकाए जा रहे हैं. ये भी लिखा गया कि तरह तरह की तारों से पेड़ों को जकडऩे से हरे भरे पेड़ों को बहुत नुकसान पहुंच रहा है.

इस प्रकार की क्रूरता से पेड़ों पर आशियाने बनाने वाले पक्षियों और पेड़ों पर निर्भर अन्य जीवों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कई बार वे तारों में उलझ कर जख्मी हो जाते हैं. ई-मेल में आरोप लगाया गया है कि संबंधित अधिकारी इस पर आंखों को मूंद कर बैठे हैं. ये ई-मेल डेंटल कॉलेज सुंदरनगर जिला मंडी के लेक्चरर डॉक्टर धर्मेश शर्मा, डॉ. आशीष शर्मा, डॉ. मालविका और डॉ. साक्षी सपहिया ने लिखी है. प्रार्थियों का कहना है कि पेड़ों पर नुकीली कीलों के जरिए लटकाए गए होर्डिंग, तारों, कंक्रीट के कुछ ढांचों से जकड़े और कीलों से जख्मी पेड़ों को देख उनका मन बहुत उदास हो जाता है. डॉक्टर्स ने लिखा है कि न जाने क्यों प्रशासन और जवाबदेह पक्ष दोषियों के खिलाफ एक्शन नहीं लेते? कीलों के जख्मों के कारण कई पेड़ धीरे-धीरे सूखने भी लगते हैं. डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से बेजुबान पेड़ों की व्यथा दूर करने की गुहार लगाई है.

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