शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अदालती आदेश की अवहेलना पर सख्ती दिखाई है. हाई कोर्ट ने शिमला जिला के कोषाधिकारी यानी ट्रेजरी ऑफिसर को अदालत में तलब किया है. यही नहीं, अदालत ने ये भी पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए ? हाई कोर्ट ने ट्रेजरी ऑफिसर को प्रार्थी के सभी वित्तीय लाभों को 24 घंटे के भीतर अदा करने का आदेश भी दिया है. इसी केस की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने आबकारी एवं कराधान सचिव व आयुक्त को आदेश जारी किए थे कि वह 12 दिसंबर से पहले ट्रिब्यूनल के आदेशों की अनुपालना करें.
आबकारी एवं कराधान विभाग की तरफ से प्रार्थी को दिए जाने वाले सभी वित्तीय लाभों के भुगतान करने के लिए बिल ट्रेजरी विभाग को भेजा गया. वहां ट्रेजरी ऑफिसर ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर प्रार्थी को 3 वर्ष से अधिक की सेवा लाभ दिए जाने पर आपत्ति जताई. हाई कोर्ट ने इसे अदालती आदेशों की अवमानना का मामला पाया और ट्रेजरी ऑफिसर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई चलाने के लिए आदेश पारित कर दिए.
मामले के अनुसार 16 नवंबर 2016 को तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकार करते हुए वर्ष 1974 में बनाए गए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत लाभ देने के आदेश जारी किए थे. वित्तीय लाभ भी प्रमोशन की तारीख से दिए जाने के आदेश जारी किए थे. ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुपालना में प्रार्थी को 22 जुलाई 1994 से वरिष्ठ सहायक फिर 20 फरवरी 2006 से अधीक्षक ग्रेड 2 के पद पर और बाद में 12 अगस्त 2009 से आबकारी एवं कराधान अधिकारी के तौर पर प्रमोट तो कर दिया गया मगर उसके वित्तीय लाभ देने के लिए अलग ही फैसला लिया गया.