शिमला:प्रदेश उच्च न्यायालय में नियमों के विरुद्ध 12 वर्ष पहले की गई असिस्टेंट पर्सनल ऑफिसर व जूनियर ऑफिसर की नियुक्ति को रद्द (Himachal High Court canceled the appointment)कर दिया. यही नहीं प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रार्थी को बेवजह मामला दाखिल करने के लिए मजबूर करने पर हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन(Himachal Pradesh Power Corporation) व हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड पर एक लाख की कॉस्ट लगाई. वहीं,प्रार्थी को असिस्टेंट पर्सनल ऑफिसर के पद के लिए कंसीडर करने के आदेश जारी कर दिए.
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने रोशन लाल द्वारा दायर याचिका को मंजूर करते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा को यह आदेश जारी किए कि वह व्यक्तिगत तौर पर इस मामले को लेकर विभागीय व अपराधिक जांच करें जो भी अधिकारी इस प्रकरण के लिए जिम्मेदार हैं ,उनके खिलाफ उपयुक्त कार्यवाही की जाए. चाहे वे नौकरी में है या नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. न्यायालय ने जांच 6 माह के भीतर पूरी करने के आदेश जारी किए हैं.
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रतिवादी विनोद सिंघा जो नियमित तौर पर एग्रो इंडस्ट्रियल पैकेजिंग लिमिटेड में कार्य कर रहा था, उसे प्रतिनियुक्ति के आधार पर हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में 6 अक्टूबर 2007 को लाया गया, जबकि प्रतिवादी राजेश मामगेन को जो कि जूनियर असिस्टेंट के पद पर हिमाचल प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव मार्केटिंग एंड कंज्यूमर फेडरेशन लिमिटेड से लाया गया. 14 मई 2009 को पावर कॉरपोरेशन ने एक आदेश जारी किया ,जिसके तहत और दोनों प्रतिवादियों को भी पावर कॉरपोरेशन में समायोजित करने के लिए विकल्प देने को कहा.