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गिरिपार को जनजातीय दर्जा देने वाले कानून के अमल पर HC की रोक, ट्राइबल सर्टिफिकेट भी नहीं होंगे जारी

Himachal High Court: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने हाटी समुदाय को जनजातीय का दर्जा देने वाली सरकार की अधिसूचना के लागू होने पर 18 मार्च तक के लिए रोक लगा दी है. पढ़ें पूरा मामला...

Himachal High Court
हिमाचल हाई कोर्ट (फाइल फोटो).

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 4, 2024, 5:22 PM IST

Updated : Jan 4, 2024, 5:45 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सिरमौर जिले के गिरिपार इलाके के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने से जुड़े कानून के अमल पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस बारे में अंतरिम आदेश पारित किया है. साथ ही खंडपीठ ने राज्य सरकार के जनजातीय विकास विभाग की तरफ से पहली जनवरी को जारी पत्र पर भी रोक लगा दी है. इस पत्र में जनजातीय विकास विभाग ने डीसी सिरमौर को गिरिपार इलाके के हाटी समुदाय को एसटी प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश दिए थे. मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि जब केंद्र सरकार पहले ही इस मुद्दे को तीन बार नकार चुकी थी तो इसमें कानूनी तौर पर ऐसा क्या रह गया था कि अब सिरमौर जिले के हाटी समुदाय को एसटी दर्जा जेने का कानून बनाना पड़ा.

वर्ष 1995, 2006 व 2017 में गिरिपार या ट्रांसगिरि इलाके के हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा देने के लिए ये मामला केंद्र सरकार के समक्ष भेजा गया था. तब तत्कालीन केंद्र सरकारों ने हर बार इस मामले को तीन प्रमुख कारणों से नकार दिया था. इन कारणों में पहला कारण उक्त क्षेत्र की जनसंख्या में एकरूपता का न होना बताया गया. दूसरा कारण ये था कि हाटी शब्द सभी निवासियों को कवर करने वाला एक व्यापक शब्द है. फिर तीसरा कारण ये था कि हाटी किसी जातीय समूह को इंगित या निर्दिष्ट नहीं करते हैं. ऐसे में हाईकोर्ट ने कानूनी तौर पर इस इलाके के लोगों को जनजातीय दर्जा दिया जाना प्रथम दृष्टया वाजिब नहीं पाया.

उल्लेखनीय है कि इस मामले में दाखिल याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि बिना जनसंख्या सर्वेक्षण के ही उक्त क्षेत्र की जनजातीय घोषित कर दिया गया. अलग-अलग याचिकाओं में यह दलील दी गई है कि वे पहले से ही अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं. प्रदेश में कोई भी हाटी नाम से जनजाति नहीं है और आरक्षण का अधिकार हाटी के नाम पर उच्च जाति के लोगों को भी दिया गया. याचिकाओं में कहा गया कि यह कानूनी तौर पर गलत है. किसी भी भौगोलिक क्षेत्र को किसी समुदाय के नाम पर तब तक अनुसूचित जनजाति घोषित नहीं किया जा सकता जब तक वह अनुसूचित जनजाति के रूप में सजातीय होने के मानदंड को पूरा नहीं करता हो.

देश में आरक्षण नीति के अनुसार अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को पहले से ही मौजूदा कानून के तहत क्रमश: 15 और 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. एससी और एसटी अधिनियम में संशोधन के साथ ही हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले के ट्रांसगिरि क्षेत्र के सभी लोगों को आरक्षण मिलना शुरू हो जाना था. इससे उन्हें उच्च और आर्थिक रूप से संपन्न समुदाय के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी और पंचायती राज और शहरी निकाय संस्थानों में अनुसूचित जाति समुदायों के स्थान पर अब एसटी समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा. केंद्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग में सितंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के हाटी समुदाय को एसटी दर्जा देने की घोषणा की थी.

इसके बाद केंद्र सरकार ने 4 अगस्त 2023 को जारी अधिसूचना के तहत ट्रांस गिरि क्षेत्र के हाटी को अनुसूचित जनजाति में शामिल कर दिया था. बाद में इस साल की शुरुआत में राज्य सरकार ने भी इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी थी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू 3 जनवरी को इस बारे में नाहन में रैली में ऐलान करने वाले थे, लेकिन उन्हें दिल्ली रवाना होना पड़ा था. इस बीच, 4 जनवरी को हाईकोर्ट का ये फैसला आ गया. अब इस मामले की सुनवाई संभवत: मार्च महीने में होगी.

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Last Updated : Jan 4, 2024, 5:45 PM IST

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