शिमला: पीजीआई चंडीगढ़ से तीन डॉक्टर्स ने एक सजायाफ्ता कैदी को गलत मेडिकल प्रमाणपत्र जारी करना महंगा पड़ गया. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पीजीआई मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ के तीन डॉक्टर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. अदालत ने सभी तीन डॉक्टर्स से पूछा है कि किन परिस्थितियों में उन्होंने सजायाफ्ता कैदी को गलत चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी किया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने तीनों चिकित्सकों को निजी शपथ पत्र दायर करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने याचिकाकर्ता व कैदी दीपराम को भी 24 घंटे के भीतर आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए हैं.
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पाया कि पीजीआई चंडीगढ़ के नेफरोलॉजी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर राजा रामचंद्रन, इसी डिपार्टमेंट के सीनियर रेजीडेंट सहित पीजीआई के ही एक अंग नेहरू अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने कैदी दीपराम की अवैध तरीके से सहायता की है. हाईकोर्ट ने प्रमाण पत्र का अवलोकन करने पर पाया कि चिकित्सकों ने कैदी का इलाज करने के 21 दिन बाद से 15 और दिनों की छुट्टी की सिफारिश की थी. इस प्रमाण पत्र को आधार बताकर कैदी दीपराम ने अपनी पैरोल को बढ़ाने की गुहार लगाई थी.