शिमला: आर्थिक संकट में घिरी हिमाचल सरकार को भारी बारिश के कारण आई आपदा ने कंगाली के दौर में धकेल दिया. हिमाचल के लिए चारों तरफ से आपदा के समाचार आ रहे थे, लेकिन कंगाली के दौर में अचानक से सुखविंदर सिंह सरकार के लिए एक लॉटरी खुल गई. यह लॉटरी ₹3.93 करोड़ रुपए सालाना की है. सुखविंदर सिंह सरकार के लिए ये लॉटरी सस्ते चौपर के रूप में आई है. परिस्थितियां हिमाचल सरकार पर कुछ इस कदर मेहरबान हुई कि सरकार को सस्ता चौपर मिल गया.
सुक्खू सरकार को मिला सस्ता चौपर: पायलट की दो सीटों सहित पांच अन्य सीटों यानी कुल सात सीटों वाले इस चौपर का किराया ₹2.58 लाख प्रति घंटा है. इस तरह पुराने चौपर के मुकाबले ये ₹82 हजार प्रति घंटा सस्ता है. चौपर की लीज के नियमों के अनुसार सरकार को हर महीने चालीस घंटे की उड़ान का किराया भरना पड़ता है. इस तरह 82 हजार रुपए प्रति घंटा के हिसाब से ये रकम ₹32.80 लाख मासिक और सालाना के हिसाब से ₹3 करोड़, 93 लाख, 60 हजार रुपए बनता है. चूंकि चौपर तीन साल के लिए होगी और शर्तों के अनुसार तीन साल में किराया भी सेम रहेगा तो, राज्य सरकार को कुल 11 करोड़, 80 लाख, 80 हजार रुपए की बचत होगी.
हिमाचल सरकार के लिए खुली लॉटरी: हिमाचल सरकार पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रही थी, उस पर भारी बारिश के कारण आई आपदा ने पांच हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान कर दिया. कंगाली के दौर में चारों तरफ से आपदा के समाचार आ रहे थे, लेकिन एक मोर्चे पर हिमाचल सरकार के लिए अचानक से लॉटरी खुल गई. ये लॉटरी सस्ते चौपर के रूप में खुली है. चार महीने से सुखविंदर सिंह सरकार बिना हेलीकॉप्टर के थी. सरकार सस्ते चौपर की तलाश कर रही थी. इसके लिए तीन बार टेंडर आमंत्रित किए गए. चूंकि रेट अधिक था, इसलिए बात नहीं बनी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू चाहते थे कि कहीं से किसी भी तरह सस्ता चौपर मिल जाए. इसी बीच, एक घटनाक्रम ऐसा हुआ कि सुखविंदर सिंह सरकार की लॉटरी लग गई.