शिमला:जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय का दर्जा दिए जाने से जुड़ी याचिकाओं पर मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी. इस मामले में हाई कोर्ट में सात याचिकाएं दाखिल हैं. इनमें से कुछ हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिए जाने के पक्ष में और कुछ इसके खिलाफ हैं. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है. खंडपीठ ने सोमवार को भी सुनवाई की है.
दिलचस्प तथ्य ये है कि कुछ याचिकाएं ऐसी दाखिल की गई हैं, जिनमें जनजातीय दर्जा दिए जाने का विरोध किया जा रहा है. कुछ याचिकाएं हाटी समुदाय को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के पक्ष में दाखिल की गई हैं. याचिकाओं के जरिए कुछ छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं उतीर्ण हुए अभ्यर्थियों ने जनजातीय दर्जा से जुड़े प्रमाणपत्रों की मांग भी की है, जिससे वे आरक्षण का लाभ हासिल कर सकें. सोमवार को इन सभी मामलों पर सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. इस पर खंडपीठ ने फैसला लिया कि मंगलवार को भी सुनवाई की जाएगी.
इस मामले में दाखिल की गई याचिकाओं में गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति और गुर्जर समाज कल्याण परिषद जिला सिरमौर ने आरोप लगाया है कि बिना जनसंख्या सर्वेक्षण के ही गिरिपार इलाके को जनजातीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया. परिषद का कहना है कि वे पहले से ही अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति से संबंध रखते है. आरोप है कि प्रदेश में कोई भी हाटी जनजाति नहीं है और आरक्षण का अधिकार हाटी समुदाय के नाम पर उच्च जाति के लोगों को भी दे दिया गया, जो कि कानूनी तौर पर गलत है. किसी भी भौगोलिक क्षेत्र को किसी समुदाय के नाम पर तब तक अनुसूचित जनजाति घोषित नहीं किया जा सकता, जब तक वह अनुसूचित जनजाति के रूप में सजातीय होने के मानदंड को पूरा नहीं करता हो.