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ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट से हिमाचल में नहीं आया बड़ा निवेश, 901 एमओयू साइन, 523 पर ही हुआ काम

हिमाचल प्रदेश में जयराम सरकार से समय ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन प्रदेश में हुआ था. जिसमें काफी बड़े निवेश को लेकर दावे किए जा रहे थे, लेकिन दावे हवा हवाई हो गए हैं. राज्य में करीब 96720.88 करोड़ का निवेश करना प्रस्तावित था, लेकिन धरातल पर करीब 13 हजार करोड़ का निवेश ही अभी हिमाचल में आया है. पढ़ें पूरी खबर...

Global Investors Meet Himachal Pradesh
ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट से हिमाचल में नहीं आया निवेश

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Published : Apr 8, 2023, 6:43 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए पूर्व सरकार के समय में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट सहित विदेशों में बड़े रोड शो भी करवाए गए. सरकार के किेए गए इन प्रयासों से करीब 901 एमओयू भी निवेशकों के साथ साइन किए गए. इन्वेस्टर्स मीट से हिमाचल में करीब एक लाख करोड़ के निवेश आने की संभावना थी, लेकिन अभी तक लेकिन यह निवेश अभी हिमाचल नहीं आया है. निवेशकों साथ साइन किए गए सभी MOU में से करीब 523 एमओयू पर ही काम हो पाया. इस तरह करीब 13 हजार करोड़ का निवेश ही अभी हिमाचल में आया है, बाकी पर अभी काम नहीं हुआ.

हिमाचल में पूर्व सरकार के समय में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया गया था. सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट भी करवाई थी. सरकार ने देश और देश बाहर निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उद्यमियों के साथ बैठकें भी कीं. इन्वेस्टर्स मीट से ही राज्य में करीब 96720.88 करोड़ का निवेश करना प्रस्तावित था. हिमाचल सरकार ने इसके लिए 901 एमओयू करवाए. यह संभावना जताई जा रही थी थी कि इन MOU को धरातल पर उतारने से राज्य में करीब 1.96 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन निवेश इससे बहुत कम आया है, इस तरह आशाओं के अनुरूप परिणाम निवेश को आकर्षित करने में हिमाचल को नहीं मिले हैं.

करीब 13 हजार करोड़ का निवेश पर हुआ काम: हिमाचल में ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के बाद राज्य में 13488 करोड़ के एमओयू को धरातल पर उतारने पर ही काम हुआ है. अभी तक करीब 523 एमओयू को हिमाचल धरातल उतारने में कामयाब रहा है. जिसमें 228 उद्योग हिमाचल में स्थापित हुए हैं और करीब 157 उद्योगों को स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है.

विदेशों में कराए गए तीन रोड शो में हुए एमओयू भी लटके:हिमाचल सरकार ने विदेशों में भी तीन रोड शो विदेशी कंपनियों को राज्य में निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए कराए गए थे. ये रोड शो जर्मनी, नीदरलैंड और यूएई में साल 2019 में करवाए गए. इस दौरान हिमाचल सरकार ने विदेशों उद्यमियों के साथ 11 एमओयू किए. इनसे हिमाचल में करीब 2200 करोड़ का निवेश हिमाचल में आना था, मगर इन रोड शो के दौरान किए गए एमओयू में से एक भी धरातल पर लागू नहीं हो पाया है.

चंडीगढ़ में 3 हजार करोड़ के एमओयू भी अधर में: यही नहीं पिछली सरकार के समय में सितंबर 2021 और मार्च 2022 में चंडीगढ़ में उद्यमियों के साथ इंटरेक्शन मीट भी की, जिसमें 100 करोड़ से अधिक वाले निवेश को लेकर 16 एमओयू किए गए. करीब 2957 करोड़ का निवेश इन एमओयू के धरातल में लागू होने से हिमाचल में आना था, लेकिन इन एमओयू में से एक को भी अभी तक धरातल नहीं उतारा गया है.

सिंगल विंडो क्लीयरेंस के बाद धारा-118 की मंजूरी के लिए भी लटके उद्योग: हिमाचल में सरकार ने निवेशकों की सुविधा के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया है. इसके तहत निवेशकों को निवेश की मंजूरियां एक ही जगह पर दे जाती है, लेकिन सिंगल विंडों से क्लीयरेंस के बाद भी निवेशकों के प्रस्ताव लटके हुए हैं. राज्य में धारा-118 के तहत उद्योगों के लिए जमीन दी जाती है, लेकिन सिंगल विंडो क्लीयरेंस मिलने के बाद बड़ी संख्या में एमओयू सरकार के पास फंसे हुए हैं. करीब 10 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव धारा-118 की मंजूरी के लिए लटके हुए हैं, उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए जमीनों की मंजूरी नहीं मिल पाईं.

केवल 9 हजार लोगों को ही मिल पाया रोजगार:हिमाचल रोजगार एक बड़ा मुद्दा रहा है. राज्य में करीब आठ बेरोजगार युवाओं की एक बड़ी फौज खड़ी हुई है. हिमाचल में निवेश को आकर्षित कर रोजगार का सृजन किया जा सकता है. ऐसे में ये उद्योग हिमाचल में सरकार की आय का साधन तो बन ही सकते हैं, साथ में ही इनमें बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. ग्लोबल इन्वेस्टर मीट, रोड शो आदि से होने वाले करीब एक लाख करोड़ के निवेश से हिमाचल में करीब 1.96 लाख रोजगार मिलने की संभावना थी. मगर अभी तक राज्य में स्थापित उद्योगों में करीब 9366 लोगों को ही रोजगार मिल पाया है.

निवेशकों को मंजूरियां देने के लिए इन्वेस्टमेंट ब्यूरो स्थापित करेगी सरकार:हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार निवेशकों को सभी तरह से सुविधाएं देने और निवेश के लिए ओपन पॉलिसी लाने की बात कर रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कर रहे हैं कि सरकार सभी तरह की मंजूरियां देंगी. निवेशकों को सिर्फ निवेश के लिए आना होगा. उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान भी कह चुके हैं कि सरकार मौजूदा सिंगल विंडो सिस्टम को समाप्त करेगी क्योंकि इसकी प्रक्रिया अभी बहुत लंबी है. अभी तक एनओसी भी निवेशकों को संबंधित विभागों से लेने पड़ रहे हैं. ऐसे में सिंगल विंडो की जगह इनवेस्टमेंट ब्यूरो बनाया जाएगा. यह ब्यूरो सभी तरह के एनओसी संबंधित विभागों से कलेक्ट करेगा. यही नहीं इसमें संबंधित विभागों को एक निश्चित समय में मंजूरी देने का प्रावधान किया जाएगा. यही नहीं सरकार धारा 118 प्रक्रिया को भी सरल करेगी जो कि अभी प्रक्रिया लंबी है. उनका कहना है कि सरकार के इस कदम से हिमाचल में निजी निवेश बढ़ेगा.

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