शिमला: साल 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को रात 8 बजे देश के नाम संबोधन में नोटबंदी का ऐलान क्या किया कि तमाम देशवासी भौंचक्के रह गए. सवा सौ करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में रात के समय आए इस ऐतिहासिक बदलाव से एकसाथ कई सवाल गूंज गए.
पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट चलन से बाहर किए जाने के कारण देश में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया. रात ही में एटीएम के आगे लोगों की कतार लग गई. समूचे देश में बहुत सी आबादी इस फैसले से बुरी तरह से परेशानी में घिर गई, लेकिन 70 लाख की आबादी वाला छोटा पहाड़ी राज्य नोटबंदी के इस तूफान को झेलने में काफी हद तक कामयाब रहा.
इसके पीछे हिमाचल के छोटे राज्य होने के साथ-साथ मजबूत बैंकिंग नेटवर्क का अहम रोल रहा. हिमाचल के बड़े शहरों में बेशक नोटबंदी के कारण एटीएम के आगे कतारें दिखी हों, लेकिन किसी तरह की अफरा-तफरी यहां देखने में नहीं आई. लोगों ने भी नोट बदलवाने के लिए संयम का परिचय दिया. साथ ही बैंकिंग और पोस्टल डिपार्टमेंट के कर्मचारियों ने भी जनता की सहूलियत का ध्यान रखा.
केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले का हिमाचल के तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने भी स्वागत किया था. वीरभद्र सिंह ने तब कहा था कि इससे काले धन के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी. हिमाचल प्रदेश में बेंकिंग नेटवर्क काफी मजबूत है. प्रदेश में 2061 बैंक शाखाएं हैं और उनका विस्तार ग्रामीण इलाकों तक में है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में सैकड़ों डाकघरों ने भी नोट बदलने और जनता को राहत देने के लिए सराहनीय कार्य किया.
इस तरह काम आया मजबूत बैंकिंग नेटवर्क
प्रदेश में डेढ़ हजार गांवों में अभी बैंकिंग सुविधा दिया जाना बाकी है. नोटबंदी के बाद शिमला और प्रदेश के शहरी इलाकों में बड़ी संख्या में बैंकों के कारण भी इसका विपरीत प्रभाव खास देखने में नहीं आया. वहीं, जनजातीय इलाकों को राहत देने के लिए सरकार ने हैलीकॉप्टर के जरिए 29 करोड़ रुपये से अधिक की करेंसी पहुंचाई. जनजातीय इलाकों में सौ-सौ रुपये के अलावा दो हजार रुपये की नई करंसी पहुंचाई गई.
प्रदेश में 1800 से अधिक एटीएम स्थापित हैं. भारत में 11 हजार लोगों पर एक बैंक की सुविधा है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में 3300 लोगों पर एक बैंक उपलब्ध है. यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश देश के अन्य राज्यों के मुकाबले आसानी से नोटबंदी की मार झेल गया.
हिमाचल के बैंकों में जमा हुए थे 7000 करोड़ रुपये