शिमलाः देश भर में तीसरी लहर की आशंका के बीच एचआरटीसी बस की तस्वीरें निःसंदेह डराने वाली हैं. शिमला के लालपानी से पुराना बस अड्डे की ओर जा रही बसों में यात्रियों को समान की तरह ठूंसा जा रहा है. ना सोशल डिस्टेंसिंग ध्यान रखा जा रहा है ना सरकार की एसओपी का. यह हाल तब है, जब कोरोना का खतरा टला नहीं है और प्रदेश सरकार ने केवल 50 फीसदी क्षमता के साथ बस संचालन की अनुमति दी है.
ईटीवी भारत ने ग्राउंड रिपोर्ट में पाया कि बस में 50 नहीं बल्कि 200 फीसदी क्षमता साथ बस संचालन हो रहा है. बस में क्षमता से अधिक यात्री सफर न करें. यह जिम्मेदारी परिचालक की है, लेकिन यात्रियों की भारी संख्या के आगे परिचालक खुद को मजबूर बताते हैं. कमोवेश यह तस्वीरें शिमला शहर की हर बस में देखने को मिलती है.
अनलॉक के बीच सभी गतिविधियां पटरी पर लौट गई हैं. ऐसे में लोग बड़ी संख्या में अपने काम पर जा रहे हैं, लेकिन अभी भी रूट की संख्या कम है. बस रूट कम होने की वजह से 50 फीसदी क्षमता के नियमों का पालन नहीं हो रहा है. वहीं, आरएम (सिटी) देवासेन नेगी का इस बारे में कहना है कि नया बस स्टैंड से पुराना बस स्टैंड के लिए हर 15 मिनट में बस की सुविधा है. मौके पर दो इंचार्ज भी तैनात किए गए हैं, जो ओवरलोडिंग न हो इसका ध्यान रखते हैं.
कोरोनाके बढ़ते खतरे के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बेहद जरूरी है, लेकिन एचआरटीसी बस में सोशल डिस्टेंसिंग का नियम की पालना दूर-दूर तक नजर नहीं आती. ऐसे में कोरोना का खतरा भी बढ़ गया है. बस समय पर नहीं आती. ऐसे में यात्रियों को मजबूरन ओवरलोडेड बसों में सफर करने को करना पड़ता है.
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