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किसानों को बेवजह हिरासत में लेना तानाशाही, सीटू की किसानों को रिहा करने की मांग

शिमला के रिज पर किसानों को हिरासत में लेने को सीटू राज्य कमेटी ने अधिकारों का हनन बताया है. सीटू राज्य कमेटी ने इस दौरान मीडिया कर्मियों के साथ पुलिस की धक्का-मुक्की को तानाशाही करार दिया है.

CITU condems arrest of farmers in shimla
किसानों को बेवजह हिरासत में लेना तानाशाही

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Published : Jan 19, 2021, 5:51 PM IST

शिमलाः राजधानी शिमला के रिज पर किसानों को हिरासत में लेने को सीटू राज्य कमेटी ने अधिकारों का हनन बताया है. सीटू राज्य कमेटी ने इस दौरान मीडिया कर्मियों के साथ पुलिस की धक्का-मुक्की को तानाशाही करार दिया है.

किसानों को रिहा करने की मांग

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने गिरफ्तार किसानों को तुरन्त रिहा करने की मांग की है. उन्होंने बेकसूर किसानों औैर मीडिया कर्मियों से धक्का-मुक्की करने वाले दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन किसानों के आंदोलन को बल पूर्वक दबाना चाहती है.

वीडियो.

लोकतंत्र पर सीधा हमला

रिज पर किसानों के पुलिस दमन ने हिमाचल प्रदेश को शर्मसार किया है. मीडिया कर्मियों से पुलिस की धक्का-मुक्की लोकतंत्र पर सीधा हमला है. विजेंद्र मेहरा ने कहा कि पुलिस यह बताए किसानों ने कोई नारा तक नहीं लगाया और न ही वे चार से ज्यादा की संख्या में प्रदर्शन कर रहे थे, तो फिर धारा 144 कैसे और कहां टूटी. मेहरा ने कहा कि लोकतंत्र में तानाशाही का कोई स्थान नहीं है.

24 जनवरी से जत्थे होंगे रवाना

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि किसानों की मांगों और दमन के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में सीटू राज्य कमेटी 24 जनवरी से प्रदेश के हर जिला के लिए शिमला, हमीरपुर और कुल्लू से तीन जत्थे चलाएगी. इन जत्थों के माध्यम से किसान कानून और बिजली विधेयक, 2020 के बारे में जनता को जागरूक किया जाएगा.

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