शिमला:हिमाचल की राजनीति में केंद्र सरकार द्वारा आपदा में मदद देने को लेकर सियासत गरमाई है. दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा मदद न मिलने पर सोमवार को लोकनिर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. वहीं, जवाब में भाजपा विधायक हंस राज ने भी विक्रमादित्य सिंह को सोच समझ कर बयानबाजी करने की नसीहत दे डाली. साथ ही केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की. भाजपा विधायक हंस राज ने कहा की प्रदेश सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह एक बार फिर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने निकल चुके है. जिस प्रकार से उन्होंने आज मुद्दे उठाने का प्रयास किया है वो पूरी तरह से राजनीतिक भावनाओ से ग्रस्त थे. पीडब्ल्यूडी मंत्री सोच समझ कर बयानबाजी करें, बिना तथ्यो के कुछ भी बोलते रहते है.
भाजपा विधायक हंस राज ने कहा की प्रदेश राहत पैकेज में 2000 करोड़ से अधिक की सहायता राशि केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि है, जिसमें 1000 करोड़ मनरेगा,100 करोड़ आवास योजना , 403 करोड़ 53 लाख राष्ट्रीय आपदा रिस्पॉन्स फंड, राज्य आपदा रिस्पांस फंड के अंतर्गत 360 करोड़ 80 लाख, राज्य आपदा मिटिगेशन फंड के अंतर्गत 85 करोड़ 60 लाख की राशि केंद्र सरकार द्वारा सीधी हिमाचल प्रदेश को दी गई है. इसके अलावा 2700 करोड़ के लगभग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से हिमाचल प्रदेश की सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए केंद्र द्वारा भेजे गए. यहां तक की हिमाचल प्रदेश में विधायक निधि को रोक कर उसे भी इसी राहत पैकेज का एक हिस्सा बनाया गया. 225 करोड़ की राशि आम जनता ने मुख्यमंत्री राहत कोष में दी इसको भी इस राहत पैकेज में सीधा-सीधा डाला गया.
हंसराज ने कहा की हाल ही में केंद्रीय सूचना प्रसारण एवं खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री एवम पंचायती राज्य मंत्री गिरिराज सिंह से आपदा प्रभावित हिमाचल प्रदेश को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत और 10 हजार आवासों की स्वीकृति प्रदान करने की मांग की है. हाल ही में केंद्र मंत्री गिरिराज सिंह ने हिमाचल के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अन्तर्गत 11000 घरों और 27 हजार किलोमीटर सड़क की मंजूरी कराई थी. भाजपा विधायक हंस राज ने कहा की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 666 किलोमीटर सड़क एफडीआर तकनीक से बनाई जाएगी. केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसकी मंजूरी दी है.