शिमलाः हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से हॉस्टल कंटिन्यूशन के लिए फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इसके लिए कितनी फीस छात्रों से ली जाएगी. यह स्थिति अभी स्पष्ट नहीं की गई है. इसको देखते हुए अब छात्र संगठन यह मांग विश्वविद्यालय से कर रहे हैं कि इस बार छात्रों से यह हॉस्टल कंटिन्यूएशन फीस न ली जाए.
इसी मांग को लेकर आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी को ज्ञापन सौंपा. विद्यार्थी परिषद ने मांग की है कि पूरे वर्ष छात्र अपने हॉस्टल में नहीं रहे हैं तो ऐसे में विश्विद्यालय प्रसाशन छात्रों से होस्टल निरंतरता फीस न लें.
इकाई उपाध्यक्षा मनीषा ने कहा कि बीते एक वर्ष से कोरोना के चलते हॉस्टल बंद है और कोई भी छात्र हॉस्टलों में नहीं रहा है.बीते वर्ष में किसी भी छात्र ने हॉस्टल की किसी भी सुविधा का कोई भी प्रयोग नहीं किया है. छात्रों ने ना तो बिजली का और ना ही पानी का उपयोग किया है और न ही वह हॉस्टल के आवास में रहा है.
किराए के कमरे में रहने को मजबूर थे छात्र
हॉस्टल बंद होने से छात्र पूरे वर्ष किराए के कमरे में रहने को मजबूर थे. जिसमें की उन छात्रों को कमरे का किराया,राशन, पानी का बिल और भी बहुत सारे अतरिक्त खर्चों का बोझ पड़ गया है. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों से हॉस्टल निरंतरता फीस मांगेगा तो इससे छात्रों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा जो सही नहीं है.
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इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए विद्यार्थी परिषद का कहना है कि किसी भी छात्र से हॉस्टल कंटीन्यूशन फीस विश्विद्यालय प्रसाशन न ले, क्यूंकि पहले ही छात्र बहुत सी परेशानियों का सामना कर रहा है और ऊपर से यदि कोई अतिरिक्त बोझ पड़ेगा तो यह छात्रों के लिए मुश्किल हो जाएगा.
वहीं इस समय में विश्वविद्यालय प्रशासन को बिजली व पानी का बिल सामान्य परिस्थितियों के मुकाबले में नाम मात्र रहा है. ऐसे में छात्र हितों को ध्यान में रखते हुए वित्त समिति के बैठक में हॉस्टल निरंतरता फीस माफ करने के फैसले को अमलीजामा पहनाना चाहिए और छात्रों को राहत देनी चाहिए.
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