शिमला: प्रदेश सरकार हिमाचल लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2011 को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू कर रही है. इस अधिनियम के तहत नागरिकों को समयबद्ध तरीके से 27 विभागों के माध्यम से 188 समयबद्ध सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, जिसमें करीब 13 हजार अधिकारियों को नामित किया गया है.
राज्य और जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों द्वारा इसकी निगरानी की जाती है ताकि प्रदेश के अधिक से अधिक लोग सार्वजनिक सेवा से लाभान्वित हो सकें. सुनिश्चित समयबद्ध सेवाओं के लिए अधिनियम के तहत आने वाले विभागों में स्वास्थ्य, वन, पंचायती राज, राजस्व, उद्योग, सिंचाई और जन स्वास्थ्य विभाग, कृषि, पशुपालन, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग, गृह (अग्निशमन सेवाएं), एमपीपी और पावर शामिल हैं.
शहरी विकास, नगर एवं ग्राम योजना, हाउसिंग, परिवहन, गृह एवं स्वास्थ्य और कई अन्य विभागों की प्रमुख सेवाओं को इसके अधीन लाया गया है. यह अधिनियम हिमाचल प्रदेश के लोगों को निर्धारित समयावधि के भीतर सेवाएं उपलब्ध करवाता है.
इस अधिनियम के तहत लोगों को लाभान्वित करने वाली सेवाओं में 24 घंटों के भीतर चरागाह-स्वीकृति (ग्रेजिंग परमिट) दो सप्ताह के भीतर गिरवी की अनुमति, 24 घंटे के भीतर ऑनलाइन पुलिस शिकायतों पर कार्रवाई, दो दिनों के भीतर जन्म- मृत्यु और विवाह पंजीकरण, 24 घंटे के भीतर बीपीएल प्रमाणपत्र, 30 दिनों के भीतर पानी का कनेक्शन शामिल हैं.
तीन दिनों के भीतर वरिष्ठ नागरिकों को पहचानपत्र, 60 दिनों के भीतर मिट्टी परीक्षण (नमूना), एक महीने के भीतर घरेलू तथा व्यावसायिक पानी का कनेक्शन, तीन दिनों के भीतर विकलांग व्यक्तियों को पहचान पत्र आदि शामिल हैं. सरकार ने लोगों को पंजीकरण की जटिल प्रक्रिया से बचाने के लिए ई-पंजीकरण पोर्टल शुरू किया है ताकि उन्हें आवश्यक दस्तावेजों व प्रपत्रों पर हस्ताक्षर कराने के लिए कतारों में खड़ा न होना पड़े. इन सेवाओं से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रशासनिक सुधार की वेबसाइट पर उपलब्ध है.
अधिनियम निर्धारित समयावधि के भीतर सेवाओं के वितरण की गारंटी भी देता है और अधिनियम में पांच हजार रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान है, जो अधिकारी पर्याप्त और उचित कारण के बिना उस सेवा के विलंब के लिए जिम्मेदार है या जो सेवा प्रदान करने में विफल रहा है अथवा ऐसी सेवा प्रदान करने में देरी हुई है. यह शासन के मानकों में सुधार करेगा और समाज में सुशासन के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा.
सचिव, प्रशासनिक सुधार डॉ. पूर्णिमा चौहान ने बताया कि हिमाचल प्रदेश वर्ष 2018 में 12 छोटे राज्यों में जिला सुशासन सुचकांक का नेतृत्व करने वाला पहला राज्य है, जिसमें सात विषयों, अठारह फोक्स विषयों और 100 संकेतकों पर शासन के प्रदर्शन को आंकने के लिए स्वमूल्यांकन तंत्र है. उन्होंने कहा कि हमने जिला स्तर पर भी अनुक्रमण किया है और सभी जिलों में शिमला को समग्र प्रदर्शन में प्रथम स्थान दिलवाया है.
9 वेब पोर्टलों के माध्यम से करीब 73 प्रमुख सेवाएं ऑनलाइन प्रदान की जा रही हैं ताकि दूरदराज के लोगों को अपनी शिकायतों के निपटारे के लिए राज्य या जिला मुख्यालय की लम्बी दूरी की यात्रा न करनी पड़े. समस्त नागरिकों को अबिलम्ब एवं शीघ्रता से सेवाएं प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है. इससे नागरिकों को विभिन्न अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सहायता मिलेगी, जिससे न केवल शासन के मानकों में सुधार होगा, बल्कि समाज को सुशासन के लिए एक मजबूत आधार भी मिलेगा.
इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सीएम डैशबोर्ड भी शुरू किया गया है, जिसके माध्यम से मुख्यमंत्री स्वयं विभिन्न विकासात्मक योजनाओं की प्रगति को प्रभावी ढंग से निगरानी कर सकते हैं. डैशबोर्ड पर विभिन्न विभागों के आंकड़े प्रकाशित किए जाएंगे जिससे विभागीय गतिविधियां हर समय उपलब्ध होंगी. यह अधिनियम लोगों को सेवाएं प्रदान करके विकास की गति को तेज करने में राज्य सरकार के प्रयासों को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा.