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निजी बस ऑपरेटर्स टैक्स चुकाने के लिए किडनी तक बेचने को हुए मजबूर, आत्महत्या की दी धमकी

मंडी जिला में पिछले 30 वर्ष से निजी बस संचालन का कार्य कर रहे अरूण कुमार ने कहा कि इसमें निजी बसों की हालत बहुत खराब है और बैंकों से लोन लेकर बसों का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण बसों की ऑक्यूपेंसी घटने के कारण उनका खर्चा भी पूरा नहीं हो रहा है. अब उनकी हालत इस प्रकार से हो गई है कि सरकार को टैक्स देने के किडनी बेचने तक की नौबत आ चुकी है.

Private bus operators union strike in Mandi, मंडी में निजी बस ऑपरेटर्स की हड़ताल
फोटो.

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Published : May 3, 2021, 3:52 PM IST

मंडी:प्रदेश सहित मंडी जिला में सोमवार को निजी बसों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो गई है. हालांकि परिवहन निगम की सेवाएं जारी हैं. इससे क्षेत्र में सवारियों को आने-जाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. निजी बसों के नहीं चलने से सवारियों की बढ़ी तादाद के कारण कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार द्वारा 50 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी के साथ बसें चलाने के नियम की सरेआम धज्जियां उड़ती हुई नजर आई.

आलम यह रहा कि सोमवार को हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में सीटें फुल होने के कारण लोगों ने खड़े होकर भी सफर किया. बता दें कि मंडी जिला में 432 निजी बसें नेशनल हाईवे से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सुविधाएं प्रदान करती हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

निजी बस ऑपरेटर्स के द्वारा इस अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर पहले ही घोषणा कर दी थी, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना वायरस की रफ्तार के बावजूद सरकार द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग के नियम की पालना करवाने को लेकर कोई पुख्ता इंतजाम प्रदेश में नहीं किए गए थे.

निजी बस ऑपरेटर्स ने 3 मई को हड़ताल का ऐलान किया था

निजी बस ऑपरेटर्स यूनियन मंडी के अध्यक्ष सुरेश ठाकुर ने कहा कि टैक्स माफी व अन्य मांगों को लेकर निजी बस ऑपरेटर्स ने 3 मई को हड़ताल का ऐलान किया था. निजी बस ऑपरेटर्स यूनियन लंबे समय से सरकार से टोकन टैक्स, स्पेशल रोड टैक्स माफ करने और वर्किंग कैपिटल (ऑपरेटर्स को सस्ता लोन) की घोषणा पूरा करने की मांग कर रही है.

निजी बस मालिकों की हालत बहुत खराब

वहीं, मंडी जिला में पिछले 30 वर्ष से निजी बस संचालन का कार्य कर रहे अरूण कुमार ने कहा कि इसमें निजी बसों की हालत बहुत खराब है और बैंकों से लोन लेकर बसों का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण बसों की ऑक्यूपेंसी घटने के कारण उनका खर्चा भी पूरा नहीं हो रहा है.

अब उनकी हालत इस प्रकार से हो गई है कि सरकार को टैक्स देने के किडनी बेचने तक की नौबत आ चुकी है. उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में निजी बस ऑपरेटर्स को आत्महत्या भी करनी पड़ सकती है.

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