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करसोग में 'मौत का सफर' करने को मजूबर लोग, सड़क किनारे नहीं सुरक्षा के कोई प्रबंध

करसोग में लोग आजादी के सात दशक बाद भी जान हथेली पर रखकर संकरी और खतरनाक सड़कों में सफर करने को मजबूर हैं. करसोग में ज्यादातर सड़कों में न क्रेश बैरियर है और न ही पैरापिट.

करसोग की सड़क से गुजरती बस

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Published : Jul 2, 2019, 6:58 PM IST

मंडी/करसोग: जिला के दुर्गम उपमंडल करसोग की बात करें तो यहां लोग आजादी के सात दशक बाद भी जान हथेली पर रखकर संकरी और खतरनाक सड़कों में सफर करने को मजबूर हैं. हालत ये है कि अधिकतर सड़कों में न क्रेश बैरियर लगाए गए हैं और न ही पैरापिट.

जनकारी के अनुसार, जिन एमडीआर (मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड) में पैरापिट लगाए गए हैं, उनकी हालत भी बेहद खराब हो चुकी है. ऐसे में लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. गौरतलब है कि प्रदेश में हर साल लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों से हजारों घरों के चिराग बुझे हैं. हजारों घटनाओं के बाद भी पीडब्ल्यूडी विभाग ने कोई सबक नहीं लिया है.करसोग में ज्यादातर सड़कों में न क्रेश बैरियर है और न ही पैरापिट.

करसोग की सड़क से गुजरती बस

पीएमजीएसवाई की बनी सड़कों की हालत सबसे खराब
करसोग में पीएमजीएसवाई के तहत अब तक कुल 52 सड़कों का निर्माण किया गया है, जिसकी लंबाई 350 किलोमीटर से ज्यादा है. इसमें कई सड़कों पर तो फेज टू के तहत कार्य चल रहा है, लेकिन पीएमजीएसवाई के तहत बनी एक भी सड़क में न तो क्रेश बैरियर लगाए गए हैं और न वाहनों की सुरक्षा के लिए सड़क के किनारे पैरापिट का निर्माण किया गया है. ऐसे में वाहन चालकों की जरा सी लापरवाही बहुत बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है.

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पीएमजीएसवाई के तहत बनी गुजरोधार, बगशाड़ से कांडी, सपनोट से धारकाण्डलु और मेहरन मोड़ से नाग ककनो आदि ज्यादातर सड़कों में क्रेश बैरियर और पैरापिट नहीं है.

करसोग की सड़क

एमडीआर के तहत 10 स्थानों पर ही क्रेश बेरियर
करसोग में एमडीआर के तहत करीब दो सड़कें हैं, जिनकी लंबाई करीब 104 किलोमीटर है. इसमें तत्तापानी से राकनी तक 62.750 किलोमीटर सड़क करसोग डिवीजन के तहत है. इसी तरह से बखरोट से लुहरी तक 41.800 किलोमीटर सड़क की देख-रेख का जिम्मा भी करसोग पीडब्ल्यूडी डिवीजन का ही है. इन दोनों ही सड़कों पर पीडब्ल्यूडी ने केवल 10 ऐसी जगहों पर क्रेश बैरियर लगाए हैं, जहां दुर्घटना घट चुकी है. इन क्रेश बैरियरों की लंबाई भी मुश्किल से 4 किलोमीटर के करीब होगी. इसके अलावा बाकी बची 100 किलोमीटर सड़क पर क्रेश बैरियरलगाने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग को शायद दुर्घटना घटने के इंतजार है.

19 साल पहले शरू हुई थी योजना
भारत सरकार ने 25 दिसंबर 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का मुख्य मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में 500 या इससे अधिक आबादी वाले (पहाड़ी और रेगिस्‍तानी क्षेत्रों में 250 लोगों की आबादी वाले गांव) सड़क-संपर्क से वंचित गांव को बारहमासी सड़कों से जोड़ना है. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय से ही इसका नाम प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना है.
फेज वन में सीधे में सड़क की चौड़ाई 5 मीटर और मोड़ पर यही चौड़ाई 7 मीटर होनी चाहिए. दुर्घटना को रोकने के लिए सड़क के किनारे निर्माण के दौरान ही पैरापिट लगाना भी जरूरी है. सड़क की गुणवत्ता जांचने के लिए बाकायदा नेशनल क्वालिटी मॉनिटर (एनक्यूएम) की टीम होती है. जिसमें दूसरे राज्य से चीफ इंजीनियर या फिर रिटायर्ड ईएनसी स्तर के अधिकारी होते हैं.

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वहीं, करसोग पीडब्ल्यूडी डिवीजन के अधिशाषी अभियंता मानसिंह का कहना है कि एमडीआर में क्रेश बैरियर लगाए जाएंगे. इसके अलावा पीएमजीएसवाई के तहत बनी सड़कों में भी सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे.

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