मंडी: चाणक्य ने कहा था कि 'युवा' किसी भी राष्ट्र के भविष्य होते हैं और यदि यही युवा अगर भटक जाए तो, उस राष्ट्र का भविष्य क्या होगा? कुछ ऐसा ही हाल प्रदेश के युवाओं का है. हिमाचल प्रदेश की युवा पीढ़ी चिट्टे जैसे घातक नशे के चंगुल में फंस चुकी है. वहीं मध्य आयु वर्ग वालों की शराब की लत लगी हुई है. ऐसे नशे की गिरफ्त में आ चुके लोगों को बाहर निकालने के लिए सरकार ने आदर्श नशा निवारण व पुनर्वास केंद्र स्थापित किए है.
हिमाचल का एकमात्र सरकारी नशा मुक्ति केंद्र: नशे से छुटकारा पाने के लिए लोग इन केंद्रों का रुख कर रहे हैं. ऐसा ही प्रदेश में सरकारी क्षेत्र का पहला और इकलौता नशा निवारण व पुनर्वास केंद्र मंडी शहर के रघुनाथ का पधर में बीते डेढ़ वर्षो से संचालित है. इस केंद्र में आने के बाद अब तक 108 लोगों ने नशे से हाय तौबा कर चुके हैं. केंद्र में आने वाले अधिकतर ऐसे मामले हैं, जिनमें युवा चिट्टे की गिरफ्त में फंसे हुए हैं. वहीं, मध्यम आयु वर्ग वाले लोगों को शराब की लत लगी हुई है.
60 फीसदी युवक चिट्टे के आदी: नशा निवारण व पुनर्वास केंद्र मंडी के नोडल ऑफिसर डॉ. दुष्यंत ठाकुर ने बताते हैं कि अभी तक यहां उपचार करवाने लोगों में 60 प्रतिशत चिट्टे की गिरफ्त वाले थे. जबकि 40 प्रतिशत शराब की लत वाले थे. एडमिट होने वाले लोगों को दवाईयों के साथ-साथ साईको थैरेपी, योगा, मेडिटेशन और अन्य प्रकार की गतिविधियों के सेशन करवाए जाते हैं, ताकि उन्हें नशे की लत से दूर रखा जा सके. वहीं, मनोवैज्ञानिक अंशुल राणा ने बताया कि हर मरीज की व्यक्तिगत रूप से कई बार काउंसलिंग करके, उन्हें जिंदगी की नई शुरूआत करने के लिए प्रेरित किया जाता है.
ये भी पढ़ें:अब स्टूडेंट की कैपेसिटी जानना हुआ आसान, हिमाचल में जापान की तर्ज पर डर्मेटोग्लिफिक्स साइंस का प्रयोग