कुल्लूः सैंज घाटी की 6 पंचायतों की करीब दस हजार आबादी को जोड़ने वाली सैंज-तलिहारा सड़क की बदहाली लोकसभा चुनाव में भारी पड़ सकती है. सड़क की हालत नहीं सुधरने से लोग चुनाव में इसका जवाब देने के लिए तैयार हैं. सड़क की हालत सुधारने को लेकर घाटी की जनता कई बार प्रदर्शन कर चुकी है. 25 किमी लंबी इस सड़क को पक्का किए जाने की आवाज सैंज घाटी में समय-समय पर उठती रही है. लोकसभा चुनाव में सड़क का यह मुद्दा गरमा सकता है. स्थानीय लोगों ने कहा कि इस बार उसी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया जाएगा, जो इस सड़क को पक्का करने का आश्वासन देगा.
सैंज-तलिहारा सड़क पर हुआ भूस्खलन सैंज घाटी में बीते करीब 12 वर्षों से विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य हुआ है. इन परियोजनाओं के लिए लारजी से न्यूली तक की सड़क को चौड़ा किया गया. लारजी से सैंज तक की सड़क को जनता के लंबे संघर्ष के बाद पक्का किया गया, लेकिन इसके बाद इसकी मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया, जिससे इसकी हालत खराब हो गई. आलम यह है कि सड़क पर सफर करना मुश्किल हो गया है. अब सड़क कच्ची ही नजर आती है.
कच्ची सड़क से उड़ने वाली धूल, मिट्टी से आसपास रहने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा और फसलें नष्ट हो रही हैं. परियोजनाओं ने सड़क की मरम्मत के लिए कई बार लोनिवि को राशि जारी की है. जनता का आरोप है कि इस धन का सही उपयोग न होने से सड़क की हालत सुधर नहीं पाई. लोस चुनावों में सैंज-न्यूली सड़क को पक्का किए जाने के मुद्दे को लेकर जनता तलख है. देहुरीधार पंचायत की प्रधान निर्मला देवी, सुचैहण पंचायत के प्रधान रेवती राम, शांघड की प्रधान सवित्रा देवी ने कहा कि सड़क की हालत सुधारने के लिए घाटी के जनप्रतिनिधि कई बार आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन परियोजना इस समस्या को नजरअंदाज कर रही है.
सैंज वैली ट्रक टिप्पर यूनियन के सचिव प्रीतम सिंह, टैक्सी यूनियन के प्रधान दलीप विष्ट और इंटक नेता रामकृष्ण चौहान ने कहा कि सड़क की बदहाली सैंज घाटी की जनता को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. पूर्व पंचायत समिति अध्यक्ष प्रभा पालसरा ने कहा कि सैंज घाटी की जनता दस वर्षों से धूल फांक रही है. उन्होंने कहा कि सड़क को पक्का करने में सरकार थोड़ी दिलचस्पी दिखाती तो सैंज के लोगों को परेशानी नहीं झेलनी पड़ती.