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वेदराम ठाकुर के जीवन पर आधारित वृतचित्र का लोकापर्ण, भुट्टिको को प्रगति के पथ पर किया अग्रसर

सहकार शिरोमणि एवं दूरदर्शी वेदराम ठाकुर के शताब्दी वर्ष 100 वर्ष पूरा करने के उपलक्ष्य में बुधवार को भुटिटको के सभागार में ‘भुट्टिको की आत्मा‘ नामक वृत्तचित्र का लोकापर्ण किया गया. वर्ष 1956 से 1971 तक वेदराम ठाकुर ने भुट्टिको को न सिर्फ नई दिशा दिखाई, बल्कि प्रगति के पथ पर भी अग्रसर किया.

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Published : Jul 15, 2020, 8:01 PM IST

कुल्लू:सहकार शिरोमणि एवं दूरदर्शी वेदराम ठाकुर के शताब्दी वर्ष (100 वर्ष पूरा करने के उपलक्ष्य) में उनके व्यक्तित्व पर भुट्टी वीवर्ज कोऑपरेटिव सोसाइटी की ओर से बुधवार को भुट्टिको के सभागार में ‘भुट्टिको की आत्मा‘ नामक वृत्तचित्र का लोकापर्ण किया गया. इस वृत्तचित्र के माध्यम से वेदराम ठाकुर के संघर्ष और बुनकरों को रोजगार मुहैया करवाने के लिए उनके अथक प्रयासों के बारे विभिन्न जानकारी उपलब्ध करवाई गई है.

इस वृत्तचित्र का लेखन एवं निर्देशन लोक संस्कृति के विद्वान एवं लेखक डाॅ. सूरत ठाकुर ने किया है, जबकि एक्टिव मोनाल कल्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष केहर सिंह ठाकुर और उनके साथी कलाकारों ने इसमें अभिनय किया है व फोटोग्राफी नरेंद्र ठाकुर ने की है.

वीडियो रिपोर्ट.

इस मौके पर पूर्व बागवानी मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर ने कहा स्व. वेदराम ठाकुर ने कैसे हालातों में गरीबी से जूझते हुए कुंभ सहित अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव और अन्य मेलों में कंधे पर कुल्लू शॉल उठाकर मार्केटिंग की थी. उनकी बदौलत ही कुल्लू शॉल व टोपी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान मिली है. उन्होंने कहा कि वर्ष 1956 से 1971 तक वेदराम ठाकुर ने भुट्टिको को न सिर्फ नई दिशा दिखाई, बल्कि प्रगति के पथ पर भी अग्रसर किया.

वेदराम ठाकुर एक विलक्षण प्रतिभा के धनी थे, हथकरघा और हस्तकला उद्योग में उनकी विलक्षण प्रतिभा थी और आज सभा के सभी पदाधिकारी व बुनकर उनके पदचिन्हों पर चलकर इस सभा को आगे बढ़ाने में प्रयासरत हैं. उन्होंने कहा कि वेदराम ठाकुर ने प्रदेश के बुनकरों को सम्मान दिलाया साथ ही प्रदेश के प्राचीन हस्तकला को भी जीवंत रखने में अतुलनीय योगदान दिया है.

यही वजह है कि आज वेदराम ठाकुर को भुट्टिको की आत्मा के रूप में याद किया जाता है और भुटिटको की ओर से जो यह वृत चित्र स्व. वेदराम की याद में बनाया गया है, उससे वर्तमान के बुनकरों के साथ-साथ आने वाली युवा पीढ़ी भी प्रेरणा लेगी. उन्होंने कहा सभा की आत्मा वेदराम ठाकुर के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता, आज उन्हीं की बदौलत हजारों परिवारों की रोजी-रोटी का जुगाड़ बुनकर उद्योग से चल रहा है.

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