हमीरपुर: ब्रह्म कमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है, वह भी सिर्फ रात के समय में ही खिलता है. दुर्लभता के इस गुण के कारण से ब्रह्म कमल को शुभ माना जाता है. इस फूल की मादक सुगंध का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है.
जानकारी के अनुसार बुधवीं की सरोज देवी ने घर में करीब छह माह पहले ही ब्रह्म कमल का पौधा लगाया है. बुधवार रात के समय अचानक पौधे पर दो ब्रह्म कमल खिल गए. वहीं, ब्रह्म कमल को देखने के लिए रात भर लोग आते रहे.
देवताओं के आर्शीवाद का प्रतीक है ब्रह्म कमल
मान्यताओं के अनुसार हिमालय में खिलने वाला यह ब्रह्मकमल पुष्प देवताओं के आर्शीवाद का प्रतीक है. इसका खिलना देर रात शुरू होता है और 10 से 11 बजे तक यह पूरा खिल जाता है. ब्रह्म कमल, इसे स्वयं सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी का पुष्प माना जाता है. हिमालय की उचाईयों पर मिलने वाला यह पुष्प अपना पौराणिक महत्व भी रखता है. इस फूल के विषय में यह माना जाता है कि मनुष्य की इच्छाओं को पूर्ण करता है. यह कमल सफेद रंग का होता है, जो देखने में आकर्षक है.