हमीरपुर:बहुत ही कम जगह में सब्जी उत्पादन करने के इच्छुक लोगों के लिए अच्छी खबर है. हमीरपुर के साथ लगते लाहलड़ी गांव के किसान परविंद्र कुमार ने आलू के ऊपर टमाटर की ग्राफटिंग और आलू पर ही बैंगन की ग्राफ्टिंग करने का काम किया है. डेढ माह की मेहनत रंग लाई है और अब आलू के पौधे पर टमाटर लगे हैं. साथ ही आलू के पौधे पर बैंगन भी लगने लगे है, जिसे देखकर हर कोई दंग रह जाता है. बता दे कि इससे पहले भी कुछ साल पहले किसान परविंद्र कुमार ने एक बेल से तीन सब्जियां उगा कर सभी को आश्चर्यचकित कर चुके हैं. (What is grafting)
किसान परविंद्र कुमार ने बताया कि आलू के ऊपर टमाटर और आलू पर बैंगन की ग्राफ्टिंग की है, जिससे एक ही पौधे पर तीन फसलें तैयार हो रही हैं. डेढ़ माह पहले की गई ग्राफ्टिंग के लिए पहले आलू तैयार किया और बाद में टमाटर की ग्राफ्टिंग की गई, जिससे अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं. परविंद्र कुमार ने बताया कि ग्राफ्टिंग के बारे में किसानों को भी सिखाया जा रहा है, ताकि लोग इससे फायदा ले सकें. उन्होंने बताया कि इस तरह की नर्सरी तैयार की जाएगी, ताकि छोटी सी जगह पर ही ज्यादा पौधे लगाकर उत्पादन हो सके.
शौकिया तौर पर ग्राफ्टिंग करते हैं परविंद्र कुमार मेक्सिको और कोलंबिया के एवोकाडो के पौधे को उगाया:प्रगतिशील किसान एवं बागवान परविंदर ने दक्षिण मेक्सिको और कोलंबिया में होने वाले एवोकाडो के पौधों को हमीरपुर में उगाने में सफलता पिछले साल पायी थी. एवोकाडो को वैज्ञानिक भाषा में पर्सिया अमरीकाना कहा जाता है. माना जाता है कि इस खास फल की उत्पत्ति लगभग सात हजार साल पहले दक्षिणी मैक्सिको और कोलंबिया में हुई थी. यह एक बड़े आकार का बेरी की तरह दिखने वाला गूदेदार फल है, जिसके बीच एक बड़ा बीज मौजूद रहता है.
नए-नए प्रयोग करने का शौक:परविंद्र कुमार को काफी समय से बागवानी और कृषि में नए-नए प्रयोग करने का शौक है. इसी के चलते इस बार परविंद्र ने एवोकाडो पौधा लगाने का मन बनाया. जानकारी के अनुसार मैक्सिको और उत्तरी अमेरिका में पाए जाने वाले एवोकाडो पौधों को लेकर कई राज्यों में प्रयास किया जा रहा है. हिमाचल के हमीरपुर में भी एवोकाडो को लेकर बागवानी विशेषज्ञ ट्रायल कर रहे हैं.
ग्राफ्टिंग से कम समय में अच्छे परिणाम शौकिया तौर पर काम करते हैं परविंद्र, 2015 में मिला था अवार्ड:परविंद्र कुमार ने पांच साल पहले ग्राफ्टिंग करके आलू के पौधों पर टमाटर उगाकर सभी को हैरान कर दिया था. टमाटर के पौधों पर बैंगन उगा दिए थे, तब साल 2015 में तत्कालीन कृषि मंत्री स्व सुजान सिंह पठानिया ने भी कृषि अवार्ड देकर सम्मानित किया था. परविंद्र कुमार शौकिया तौर पर इस तरह से प्रयोग करते रहते हैं. उनकी एक छोटी सी दुकान भी है, जिसमें वह सजावटी पौधे और इस तरह से ग्राफ्ट किए गए पौधों को बेचते हैं.
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स्थानीय निवासी वंशीराम और प्रीतम सिंह ने बताया कि परविंद्र कुमार ग्राफ्टिंग कर रहे हैं, जिससे बाकी किसानों केा प्रेरणा मिल रही है. गौरतलब है कि अपनी वैज्ञानिक सोच के चलते बागबानी व कृषि क्षेत्र में हर बार हमीरपुर जिले के परविंद्र कुमार द्वारा नए नए कारनामे किए जा रहे हैं. हमीरपुर जिले के लाहलड़ी गांव में ग्रामीण वैज्ञानिक परविंद्र कुमार ने अपनी सोच के बलबूते पर हर बार अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनते जा रहे हैं.
ऐसे होगी है पौधों की ग्राफ्टिंग:इस तकनीक में दो अलग-अलग पौधों के कटे हुए तनों को लेते हैं, इसमें एक जड़ सहित और दूसरा बिना जड़ वाला होता है. दोनों को इस तरह से एक साथ लागाया जाता है कि दोनों तने संयुक्त हो जाते हैं और एक ही पौधे के रूप में विकसित होते हैं. इस नए पौधे में दोनों पौधों की विशेषताएं होती हैं. जड़ वाले पौधे के कटे हुए तने को 'स्टॉक'और दूसरे जड़ रहित पौधे के कटे हुए तने को 'सायन'कहा जाता है. यह पोषक तत्वों को बढ़ाकर और उपयुक्त रूट स्टॉक्स के साथ मिट्टी जनित रोगों के प्रतिरोधक विकसित करके पौधों की वृद्धि करता है. यह तकनीक उन्नत किस्म के फलों और सब्जियों को उगाने में कारगर साबित हो रही है.
ग्राफ्टिंग के फायदे:ग्राफ्टेड पौधे सामान्य पौधों की अपेक्षा बीमारियों और प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए अधिक प्रतिरोध विकसित करते है. ग्राफ्टेड पौधों की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है. ग्राफ्टेड पौधे सामान्य पौधों की तुलना में कम समय में ही फल और फूल देने लगते हैं. इन्हें ज्यादा खाद और पानी की जरुरत नहीं होती है. ऐसे में कम लागत में ही ग्राफ्टेड पौधों की देखभाल की जा सकती है. ग्राफ्टेड पौधों में फल, पत्तियों और फूलों में पाए जाने वाले अधिकांश गुण बरकरार रहते हैं, जबकि ये गुण कभी-कभी उन पौधों में खो जाते हैं, जो बीज से उगाये जाते हैं. (grafting) (Hamirpur grafting news)