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​​​​​​​हमीरपुर में लगातार दूसरे वर्ष टूटी 15 साल पुरानी परंपरा, हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश - दशहरा के लिए अनुमति नहीं दी

हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों के खेल मैदान में अन्य गतिविधियों पर रोक के कारण हमीरपुर शहर में लगातार दूसरे वर्ष भी दशहरा उत्सव नहीं मनाया गया. जिस वजह से स्थानीय लोगों में काफी रोष देखने को मिला.

high court restriction over dushehra in hamirpur

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Published : Oct 9, 2019, 12:54 PM IST

हमीरपुरः जिला के शहरी के इलाके में लगातार दूसरे साल भी 15 साल पुरानी परंपरा टूट गई. हमीरपुर वासियों को इस वर्ष भी दशहरा उत्सव मनाने को नहीं मिल पाया. जिला के लोगों को रावण दहन के लिए शहर से दूर समताना, सुजानपुर या नादौन का रुख करना पड़ा. गौरतलब है कि पिछले काफी वर्षों से हमीरपुर नगर का दशहरा उत्सव बुलंदियों पर रहा और 2 साल पहले तक हर साल दशहरा उत्सव सीनियर सेकेंडरी बॉयज स्कूल के खेल मैदान में धूमधाम से मनाते रहे हैं.

बता दें कि हाईकोर्ट ने हमीर उत्सव के लिए तो अनुमति दे दी, लेकिन दशहरा के लिए अनुमति नहीं दी. इस बार हाईकोर्ट से केवल बॉयज स्कूल ग्राउंड का एक कोना रामलीला के प्रयोग के लिए अनुमति मिली थी. जिससे स्थानीय लोगों में काफी रोष देखने को मिला है.

हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों के खेल मैदान में अन्य गतिविधियों पर पूर्णतया रोक लगाई है, जिस कारण इस बार भी लगातार दूसरे वर्ष दशहरा पर्व के कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो पाया. हमीरपुर शहर की बात करें तो स्कूल मैदानों के अलावा यहां कोई बड़ा ऐसा मैदान नहीं है, जहां दशहरा उत्सव करवाया जा सके. इसलिए शहर वासी भी उत्सव मनाए जाने में खुद को बेबस मान रहे हैं.

नगर परिषद हमीरपुर के उपाध्यक्ष और दशहरा मेला अयोजन कमेटी के प्रमुख दीप कुमार बजाज का कहना है कि नगर में व्यापारी एवं शहरवासी मिलकर पिछले 15 वर्षों से लगातार दशहरा उत्सव और पुतला दहन करते आए हैं. उन्होंने कहा कि दो वर्षों से यह परंपरा टूटी है. उन्होंने कहा कि नगरवासियों को इस परंपरा को चलाने के लिए आगे आना चाहिए, ताकि नयी पीढ़ी का रुझान हिंदू संस्कारो, पर्व एवं त्योहार को मनाने के प्रति बरकरार रहें.

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