हमीरपुरः जिला में स्थितउत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में एक माह तक आयोजित होने वाले सुप्रसिद्ध चैत्र मास मेले शुरू हो गए हैं.शुभारंभ अवसर पर डीसी एवं आयुक्त सिद्ध बाबा बालकनाथ जी मंदिर न्यास डॉ. रिचा वर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहीं. मेले के पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा बालक नाथ के दर पर शीश नवाया.
दियोेटसिद्ध मंदिर में मेले के दौरान उमड़े श्रद्धालु इस अवसर पर पूजा-अर्चना के उपरांत हवन-यज्ञ की पूर्णाहुति डाली गई और बाबा को भोग लगाने के बाद झंडा रस्म अदा की गई.
डॉ. ऋचा वर्मा ने इस अवसर पर सभी श्रद्धालुओं को चैत्र मास मेले की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ जी का यह पावन धाम हमीरपुर जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश व देश के साथ-साथ विदेशों तक विख्यात है. यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु चैत्र मास मेले के दौरान बाबा जी के दर्शनों के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि हर बार की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए गए हैं.
जिला प्रशासन व मंदिर न्यास द्वारा सभी न्यासियों व प्रबुद्धजनों के सहयोग से मेले के सफल आयोजन के लिए कई कदम उठाए गए हैं. श्रद्धालुओं को कतारों में आने व जाने के लिए स्टील रेलिंग लगाई गई है. चकमोह से दयोटसिद्ध व दयोटसिद्ध से शाहतलाई तक श्रद्धालुओं के बैठने व आराम करने के लिए स्थान-स्थान पर सड़क किनारे बैंच लगवाए गए हैं.
दियोेटसिद्ध मंदिर में मेले के दौरान उमड़े श्रद्धालु
डॉ. रिचा वर्मा ने कहा कि मंदिर परिसर में पंक्तिबद्ध श्रद्धालुओं की सुविधा के वाटर प्रूफ मैट बिछवाई गई है, ताकि अधिक गर्मी होने पर उस पर पानी इत्यादि डालकर उन्हें राहत पहुंचाई जा सके. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रास्ते में आवश्यक सूचना के फ्लैक्स लगाए गए हैं और मंदिर परिसर में भी बिजली की स्लाईड स्क्रीन के माध्यम से विभिन्न जानकारियां उपलब्ध करवाई जा रही हैं, जिनमें चढ़ावे का विवरण भी शामिल है.
बस अड्डा पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पानी का कूलर लगवाया गया है और प्रत्येक सरायं, कैंटीन व पुलिस नियंत्रण कक्ष और स्वागत कक्ष में एक ही सीरीज वायरलेस सिम फोन लगवाए गए हैं. मेले के दौरान साफ-सफाई के भी पुख्ता प्रबंध किए गए हैं और पुरूष व महिलाओं के लिए अलग-अलग अस्थाई शौचालय भी स्थापित किए गए हैं.
उन्होंने स्थानीय व विशेषतौर पर बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे मंदिर तक पहुंचने के लिए विधिमान्य परिवहन सेवाओं का ही उपयोग करें और ट्रकों इत्यादि में यात्रा न करें, ताकि किसी भी संभावित दुर्घटना इत्यादि से बचा जा सके.