चंबा: प्लास्टिक के उपयोग और उससे पैदा होने वाले कूड़े का निष्पादन एक गंभीर समस्या के रूप में उभरा है. समस्या के समाधान को लेकर हिमाचल प्रदेश और केन्द्र सरकार की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन आम जनमानस में जागरूकता की कमी के चलते अभी भी इस समस्या से पूरी तरह से निजात नहीं मिल पाई है.
प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम
चंबा डीसी दूनी चंद राणा ने जिला के सभी नवनिर्वाचित पंचायत प्रधानों को पत्र भेजकर उनसे अपनी-अपनी पंचायतों में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम उठाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण व शहरी) के कार्यान्वयन के साथ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की नियमित निगरानी के अलावा प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, स्थानीय निकायों की ओर से लागू नियमों की अनुपालना के लिए औचक निरीक्षण में बढ़ोतरी की जाएगी. उन्होंने ये भी कहा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने दो खास पहल की है ताकि प्लास्टिक की समस्या का स्थाई समाधान सुनिश्चित हो सके.
प्लास्टिक का उपयोग न करने का आग्रह
दूनी चंद राणा ने कहा कि प्रदेश में पॉलीथीन के थैलों पर पूर्ण प्रतिबंध है. सरकार ने 2 अक्टूबर, 2019 को और इसके बाद भी प्लास्टिक और थर्मोकोल से बने प्लेट, ग्लास, चम्मच, कटोरी आदि पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया है. इनके उपयोग पर लगने वाले जुर्माने और प्रतिबंधित सामग्री की सूची के साथ अपील की एक प्रति भी पत्र के साथ संलग्न की गई है. उपायुक्त ने पंचायत प्रधान का आह्वान करते हुए कहा है कि अपनी पंचायत में प्लास्टिक का उपयोग न करें और न ही किसी को करने दें. जन सहभागिता से ही पंचायतों में पर्यावरण को होने वाले नुकसान और बढ़ते प्लास्टिक के कूड़े पर रोक लगाने में कामयाब हो सकेंगे.