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कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर का आरोप, कानून के तहत नहीं हुए पंचायत समिति के चुनाव

पंचायत चुनाव को लेकर बीजेपी पर कांग्रसे विधायक रामलाल ठाकुर ने आरोप लगाए हैं. पूर्व वन मंत्री रामलाल ठाकुर ने कहा कि स्वारघाट में गत मंगलवार को हुए पंचायत समिति के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव कानून के मुताबिक नहीं हुए है. इस चुनाव में चुनाव अधिकारी द्धारा गड़बड़ी की गई है. इस संबंध में नवंबर माह में जारी अधिसूचना की गाइडलाइन पर गौर नहीं किया है. इसलिए कांग्रेस इस चुनाव के मुद्दे पर हाईकोर्ट जाएगी.

Congress leader ram lal thakur
कांग्रेस नेता राम लाल ठाकुर

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Published : Feb 3, 2021, 6:55 PM IST

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश में हाल ही सम्पन्न हुए पंचायत चुनाव को लेकर बीजेपी पर कांग्रसे विधायक रामलाल ठाकुर ने आरोप लगाए हैं. पूर्व वन मंत्री रामलाल ठाकुर ने कहा कि स्वारघाट में गत मंगलवार को हुए पंचायत समिति के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव कानून के मुताबिक नहीं हुए हैं.

इस चुनाव में चुनाव अधिकारी द्वारा गड़बड़ी की गई है. इस संबंध में नवंबर माह में जारी अधिसूचना की गाईडलाईन पर गौर नहीं किया है. इसलिए कांग्रेस इस चुनाव के मुद्दे पर हाईकोर्ट जाएगी. रामलाल ठाकुर ने प्रदेश भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्रियों व पदाधिकारियों पर पंचायती राज संस्थाओं को हाईजैक करने का आरोप लगाया है. वह बिलासपुर में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे.

पंचायती राज संस्थाओं को हाईजैक करने का आरोप

कांग्रेस नेता रामलाल ठाकुर ने कहा कि एक ओर भाजपा के मंत्री, विधायक और पदाधिकारी पंचायती राज चुनावों में शत प्रतिशत भाजपा की विचारधारा वाले प्रतिनिधि आने के दावे कर रही है, तो दूसरी ओर जहां पर जिला परिषद एवं बीडीसी के अध्यक्ष उपाध्यक्ष का चुनाव होता है. वहां पर ही मुख्यमंत्री का दौरा घोषित हो जाता है.

वीडियो.

प्रक्रिया का नहीं हुआ पालन

रामलाल ठाकुर ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री, मंत्री और पदाधिकारी इन चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे है. उन्होंने स्वारघाट में गत मंगलवार को हुए पंचायत समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में जब अध्यक्ष पद पर हुए मतदान के दौरान कांग्रेस के आठ वोट तो चुनाव अधिकारी ने एक वोट को किसी भाजपा पदाधिकारी के फोन पर एक वोट को कैंसल कर दिया. जब सदस्यों की संख्या बराबर हुई तो कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के विरोध के बावूजूद पर्ची डाली गई और भाजपा समर्थित बीडीसी सदस्य को विजय घोषित कर दिया.

नवंबर महीने में सरकारी नोटिफिकेशन निकली हैं, जिसके अनुसार अगर दोनों प्रत्याशी बराबरी के मत मिलते हैं और प्रत्याशी को संबंधित अधिकारी पर विश्वास नहीं है तो संबंधित अधिकारी को आगामी कार्रवाई के लिए उपायुक्त को यह प्रक्रिया भेज जानी चाहिए थी. फिर भी अधिकारियों ने दबाव में आकर भाजपा के प्रत्याशी को विजय बनाया है जिसके लिए वह हाईकोर्ट में चुनौती देने वाले हैं.

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