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Union Budget 2022: हिमाचल के फार्मा सेक्टर को बजट से है ढेरों उम्मीदें, जानिए आखिर क्या है इनकी मांग

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2022 को बजट (Union Budget 2022) पेश करेंगी. इस बजट में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार हेल्थ सेक्टर के लिए कुछ बड़े ऐलान कर सकती है. ऐसे में बजट से फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्री को (Himachal pharma sector) क्या उम्मीदे हैं, आइए जानने की कोशिश करते हैं.

Himachal pharma sector
हिमाचल के फार्मा सेक्टर

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Published : Jan 31, 2022, 5:41 PM IST

सोलन:कोरोना महामारी से पैदा हुई चुनौतियों के बीच वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट में (Union Budget 2022) स्वास्थ्य क्षेत्र पर इस बार भी सरकार का विशेष जोर होने की उम्मीद जताई जा रही है. फार्मा उद्योग को उम्मीद है कि (pharma sector Expectations from budget) इस बजट में हेल्थकेयर सेक्टर के लिए कुल फंड आवंटन में बढ़ोतरी हो सकती है. कोरोना काल में अहम भूमिका निभाने वाले देश के फार्मा सेक्टर ने भी इस बजट से उम्मीदें लगाई हैं. हिमाचल प्रदेश की पहचान फार्मा हब के रूप में भी होती है. कोरोना काल में एशिया से सबसे बड़े फार्मा हब ने देश ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों की जरूरतों को पूरा किया है.

फार्मा इंडस्ट्री को बजट से उम्मीद- एक फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट को लेकर आम आदमी से लेकर कर्मचारी और उद्योगपतियों को भी उम्मीद है. हिमाचल दवा उत्पादक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा कि आम बजट से फार्मा इंडस्ट्री को कई उम्मीदें हैं. राज्य और केंद्र सरकार के सामने तीन मांगों को भी रखा गया है. अगर बजट में ये मांगे पूरी हो जाती हैं तो फार्मा हब का और विकास होगा.

पहली मांग, टास्क फोर्स का गठन- उन्होंने बताया कि उनके सबसे पहली मांग एपीआई (Active Pharmaceutical Ingredient) की है. जिसमें 30% से 300% तक कच्चा माल बढ़ चुका है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण लुमियम, पीवीसी से लेकर कच्चा माल बनने से मैन्युफैक्चरर परेशान हो चुका है. हिंदुस्तान के साथ-साथ इंपोर्ट होकर आने वाले मटेरियल को एक मैनेजमेंट द्वारा चेक किया जाए ताकि कालाबाजारी रुक सके.

उन्होंने मांग की है कि इसके लिए टास्क फोर्स बनाने की जरूरत है. ज्यादातर कीमतें नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (National Pharmaceutical Pricing Authority) से नियंत्रित होती है ऐसे में 30 से 300% तक कच्चा माल बढ़ा है, लेकिन अभी भी दवाइयों के एमआरपी वही है. उन्होंने कहा कि फार्मा उद्योग भी नहीं चाहता कि देश की जनता को महंगी दवाइयां मिले. इसके लिए इन दोनों के बीच समन्वय स्थापित करने की जरूरत है और सरकार को टास्क फोर्स बनाने की आवश्यकता है.

दूसरी मांग, दवाओं पर टैक्स छूट को जारी रखा जाए -उन्होंने कहा कि फार्मा उद्योगों को एक्सपोर्ट के मामले में सरकार, जीएसटी और अन्य टैक्स वापस करती है. लेकिन सरकार ने पिछले साल टैक्स रिफंड नहीं किया है. जिसकी वजह से फार्मा उद्योगों का डबल टैक्स लग रहा है. एक्सपोर्ट करने के मामले में फॉर्मा उद्योगों को डबल टैक्स देना पड़ रहा है, ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि फॉर्मा उद्योगों का टैक्स रिफंड हो इसे लेकर सरकार सही फैसला ले.

तीसरी मांग, रिफंड प्रोसीजर को ऑनलाइन किया जाए -उन्होंने कहा कि तीसरी बड़ी मांग फार्मा उद्योगों की यह है कि, एमएसएमई इंडस्ट्री में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री 18% जीएसटी कच्चा माल में देती है और 12 % फिनिश गुड में देना पड़ता है. ऐसे में 6% वैल्यू एडिशन के बाद भी एमएसएमई इंडस्ट्री का बड़ा पैसा तीन से छह महीनों में जीएसटी डिपार्टमेंट में रिफंड में फंसा है, जो कि एक से तीन करोड़ तक है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि सरकार टैक्सेशन माध्यम को ठीक करे या फिर रिफंड प्रोसीजर को ऑनलाइन करे, क्योंकि ऑफलाइन में इसे रिफंड करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

कोरोना महामारी के इस दौर में फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री को उम्मीद है कि (pharma sector Expectations from budget) इस बजट में हेल्थ केयर सेक्टर के लिए कुल फंड आवंटन में बढ़ोतरी की जाएगी. फार्मा इंडस्ट्री ने उम्मीद लगाई है कि (healthcare top priority in budget) आगामी बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाने, रिसर्च एंड डेवलपमेंट गतिविधियों को प्रोत्साहन और विभिन्न दवाओं पर टैक्स छूट को जारी रखने जैसे ऐलान कर सकती है. बहरहाल देखना होगा कि केंद्रीय बजट में किस तरह की राहत फार्मा उद्योगों को मिलने वाली है.

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