शिमला: हिमाचल प्रदेश को भारत देश का एप्पल बाउल (APPLE BOWL OF INDIA) कहा जाता है. यहां सेब उत्पादन का सिलसिला एक शताब्दी से भी पुराना है, लेकिन कुछ समय से देव भूमि हिमाचल के सेब कारोबार को तुर्की और ईरान परेशान कर रहे हैं. सारा मामला सेब के आयात शुल्क से जुड़ा है. भारत में तुर्की, ईरान, चिली, न्यूजीलैंड और अमेरिका से सेब आयात होता है. सेब पर आयात शुल्क 50 फीसदी है. जबकि हिमाचल में बागवानों को साल भर में एक पेटी सेब को मार्केट तक पहुंचाने में 1200 से 1400 रुपए खर्च होते हैं. इसमें सेब बगीचे में पौधे की देखरेख, स्प्रे से लेकर मार्केट तक पहुंचने की पूरी चेन का खर्च शामिल है. वहीं तुर्की व ईरान आदि से आयात होने वाला सेब सस्ता पड़ता है. आइए सिलसिलेवार समझते हैं कि कैसे विदेशी सेब हिमाचल के सेब कारोबार पर खतरे की तरह मंडरा रहा है.
हिमाचल में करीब 4 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन- हिमाचल प्रदेश के खुद के आर्थिक संसाधन कम हैं और अधिकांश जनता खेती-बागवानी पर निर्भर है, लिहाजा हिमाचल के हितों को देखना केंद्र की जिम्मेवारी बनती है. प्रदेश में शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, सिरमौर जिलों में सेब पैदा किया जाता है. हिमाचल के कुल सेब उत्पादन का 80 फीसदी शिमला जिले में होता है. हिमाचल में सालाना तीन से चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. हिमाचल के अलावा दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य जम्मू-कश्मीर है. उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में भी सेब उत्पादन होता है, लेकिन हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के सेब कारोबार की देश भर में धूम है.
हिमाचल में 4 लाख बागवान परिवार-हिमाचल की आर्थिकी को सेब कारोबार से संबल मिलता है. प्रदेश में कुल 4 लाख बागवान परिवार हैं. हिमाचल में आजीविका का बड़ा साधन सरकारी नौकरी है. प्रदेश में 2.25 लाख सरकार कर्मचारी हैं. निजी सेक्टर में भी रोजगार की संभावनाएं हैं, लेकिन सबसे अधिक आर्थिक गतिविधियां खेती बागवानी में ही संभव हैं. हिमाचल के युवाओं को बागवानी सेक्टर में स्वरोजगार बेहतर तरीके से मिलता रहे इसके लिए बागवानी से जुड़े मसलों को गंभीरता से लेना होगा. सेब का आयात शुल्क ऐसा ही मसला है.
विदेशों से सेब निर्यात के यह हैं कारण- 135 करोड़ की आबादी वाले भारत देश के पास विशालकाय मार्केट (APPLE MARKET IN INDIA) है. हिमाचल और अन्य सेब उत्पादक राज्यों का सेब इस मार्केट की जरूरतें पूरी नहीं कर सकता. यही वजह है कि विदेश का सेब यहां आयात होता है. विश्व में सबसे बड़े सेब उत्पादक देशों में चीन, न्यूजीलैंड, अमेरिका व चिली आदि का नाम शामिल है. इन देशों को भारत एक बड़ी मार्केट नजर आता है. इन देशों से आयात होने वाला सेब भारत की मार्केट में सस्ता पड़ता है. वहीं, हिमाचल में सेब उत्पादन (APPLE PRODUCTION IN HIMACHAL) की लागत अधिक है. ऐसे में हिमाचल के बागवानों की मेहनत का उन्हें उचित फल नहीं मिल पाता.
आयात शुल्क बढ़ाने की मांग- हिमाचल में एक पेटी सेब को बागीचे से मार्केट तक पहुंचाने में अधिकतम 1400 रुपए का खर्च आता है. वहीं ईरान व तुर्की आदि का सेब काफी सस्ते में देश की मार्केट में पहुंच जाता है. इससे हिमाचल को नुकसान हो रहा है. हिमाचल के बागवान लंबे अर्से से केंद्र सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि आयात शुल्क 50 फीसदी (APPLE IMPORT DUTY) से अधिक किया जाए. बागवान कृषि सैस को भी 35 फीसदी की दर से लागू करने की मांग कर रहे हैं ताकि सेब का आयात शुल्क बढ़ जाए. बागवानों का कहना है कि देश की मार्केट का फायदा दूसरे देशों के व्यापारी क्यों उठाएं?