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बीजेपी की हो गई कार्ड छपवाई, कांग्रेस को सेहरा बांधने के लिए भी नहीं मिल रहे चार 'दूल्हे'

बीजेपी अपने उम्मीदवारों के टिकट फाइनल कर मैदान में प्रचार करने भी उतर गई है, लेकिन कांग्रेस को अभी अपने चार 'दूल्हे' नहीं मिले हैं. खबर है कि पार्टी भाजपा खेमे की टीम से नाराज दो नेताओं सुरेश चंदेल और सुखराम के पोते आश्रय शर्मा के सिर पर सेहरा बांधकर चुनावी रण में कूदने की तैयारी कर रही है.

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Published : Mar 26, 2019, 9:16 PM IST

Updated : Mar 26, 2019, 11:41 PM IST

कॉन्सेप्ट फोटो

शिमला: लोकसभा चुनाव का पूरे देश में बिगुल बजा है, लेकिन हिमाचल में कांग्रेस का ऐसा बैंड बजा है कि अभी तक प्रत्याशी ही फाइनल नहीं हो पाए हैं. कांग्रेस अभी तक समझ ही नहीं पा रही है कि किन चार लोगों के सिर पर सेहरा बांधे और उनके नाम के कार्ड छपवाएं. बीजेपी अपने उम्मीदवारों के टिकट फाइनल कर मैदान में प्रचार करने भी उतर गई है, लेकिन कांग्रेस को अभी अपने चार 'दूल्हे' नहीं मिले हैं. खबर है कि पार्टी भाजपा खेमे की टीम से नाराज दो नेताओं सुरेश चंदेल और सुखराम के पोते आश्रय शर्मा के सिर पर सेहरा बांधकर चुनावी रण में कूदने की तैयारी कर रही है. सुरेश चंदेल के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें पूरे जोर पर हैं.

सोमवार को राजनीतिक गलियारों में चर्चा रही कि सुरेश चंदेल को हमीरपुर से टिकट देने का ऐलान कांग्रेस कर सकती है, लेकिन मंगलवार आते-आते अमंगल होना शुरू हो गया. बिलासपुर कांग्रेस कमेटी ने दो टूक कह दिया कि पैराशूट केंडिडेट के लिए वो काम नहीं करेंगे. हमीरपुर सीट से तीन बार के विजेता अनुराग ठाकुर के सामने कांग्रेस पस्त है. अनुराग ठाकुर के खिलाफ सिर्फ राणा फैमिली ही मोर्चा खोले हुए है. राणा फैमिली लंबे समय से कांग्रेस से लोकसभा का टिकट हासिल करने के लिए तिकड़म भिड़ा रहे थे. वीरभद्र सिंह ने भी राजेंद्र राणा के बेटे अभिषेक राणा के सिर पर हाथ रख दिया था. सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री के नाम की चर्चा भी चली, लेकिन कांग्रेस के डूबते हुए रथ पर पार्टी का नेता भी सवार नहीं होना चाह रहा है.

मंडी से सुखराम के पोते अकेले ही गले में ढोल डालकर भांगड़ा करते हुए चुनावी मैदान में उतर गए थे. आश्रय शर्मा बीजेपी से टिकट की मांग कर रहे थे. बीजेपी और सीएम के तलख तेवरों ने आश्रय के ढोल की हवा निकाल दी. इसके बाद आश्रय ने दादा सुखराम के साथ गोते खा रही कांग्रेस की नाव में सहारा लिया. बीजेपी ने आश्रय के टिकट राग को सुना ही नहीं. बीजेपी रामस्वरूप को ही एकबार फिर टिकट देने का फैसला कर चुकी थी. मंडी में हुए पन्ना प्रमुख सम्मेलन में राजनाथ सिंह रामस्वरूप को टिकट देने का इशारा कर चुके थे, रामस्वरूप और सीएम की नजदीकियां भी किसी से छिपी नहीं है. मंडी में दोनों जय-वीरू की तरह साथ-साथ दिखते हैं.

शिमला सीट पर भी कांग्रेस की तस्वीर साफ नहीं हुई है. बीजेपी ने पच्छाद के विधायक सुरेश कश्यप को मैदान में उतारा है, लेकिन कांग्रेस धनीराम शांडिल और विनोद सुलतानपुरी की तरफ देख रही है. राहुल गांधी ने यंग ब्रिगेड के लिए वकालत की तो सुल्तानपुरी को सुल्तानी करने का मौका मिल सकता है. कांगड़ा-चंबा सीट से भी कांग्रेस उलझन में ही है. बीजेपी ने कैबिनेट मंत्री किशन कपूर को टिकट थमा दिया है, लेकिन कांग्रेस निर्णय ही नहीं कर पा रही है की मैदान में किसे उतारा जाए. पवन काजल, सुधीर शर्मा, जीएस बाली का नाम इस सीट से आगे आया था, लेकिन बाली ने भी तेवर ठंडे कर लिये हैं. सुधीर शर्मा को धर्मशाला की जनता ने पहले ही सियासी वनवास पर भेज दिया है. अब पवन काजल का ही पलड़ा भारी है.

इस सीट पर गद्दी समुदाय का बड़ा वोट बैंक हैं. इसी बात को ध्यान में रखकर बीजेपी ने किशन कपूर को अपना सेनापति बनाया हैं. गद्दियों पर दिए वीरभद्र सिंह के एक बयान ने विधानसभा चुनाव में चंबा और कांगड़ा से कांग्रेस का गुणा भाग बिगाड़ दिया था. सुधीर शर्मा को सियासी बनवास पर भेज दिया है. इस बार शांता के बयान ने बीजेपी के लिए वही काम किया, लेकिन बीजेपी ने किशन कपूर को टिकट थमा कर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है.
कांग्रेस में चल रहे इस सियासी घमासान के बाद वीरभद्र सिंह मगंलवार को दिल्ली रवाना हुए हैं. माना जा रहा है कि टिकट आवंटन में वीरभद्र सिंह की राय ली जाएगी. अब राजा के दरबार में किसी का पत्ता कट भी सकता है और किसी का टांका फिट भी हो सकता है. कांग्रेस अभी भी गुणा भाग में लगी है, लेकिन इस गुणा भाग का क्या रिजल्ट निकेलगा ये कुछ दिन में साफ हो जाएगा.

Last Updated : Mar 26, 2019, 11:41 PM IST

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